RANCHI : हजारीबाग जिले के बड़कागांव में 14 अगस्त 2015 को एनटीपीसी के खिलाफ चल रहे किसान सत्याग्रह आंदोलन के दौरान ढेंगा में पुलिस-पब्लिक के बीच झड़प हुआ था. इस गोली कांड के पीड़ितों को अबतक न्याय नहीं मिला है. इस गोलीकांड में छह लोगों को पुलिस की गोली लगी थी. जिन छह लोगों को गोली लगी थी उनमें जुबैदा खातून,मंटू सोनी,संजय राम,संतोष राम,श्री चंद राम,सन्नी देवल कुमार शामिल थे.एसडीओ अनुज प्रसाद के आवेदन पर पूर्व विधायक योगेंद्र साव, निर्मला देवी,सभी घायलों के साथ 64 लोगों के खिलाफ नामजद सहित अज्ञात 400 पर केस दर्ज किया गया था.
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घायलों का जिक्र तक नहीं
गोलीकांड के बाद बड़कागांव थाना में कांड संख्या 167/15 दर्ज किया गया था. जिसमें घायल छह लोगों का जिक्र तक नहीं किया गया था. रघुवर सरकार के कार्यकाल में हुई घटना में विधायक निर्मला देवी ने विधानसभा में 14/3/16 को तारांकित प्रश्न संख्या ग 34 के जवाब में कहा था कि किसी के पर गोली नही चलायी गयी थी और न कोई घायल हुए था, जबकि पुलिस केस में स्वीकर किया गया कि पुलिस की तरफ से 22 राउंड फायरिंग किया गया था.
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सरकार बदलने पर बदली रिपोर्ट
विधानसभा में विधायक अम्बा प्रसाद के प्रश्न के जवाब में सरकार ने स्वीकार किया कि गोलीकांड में पांच लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. जबकि रघुवर कार्यकाल में घायलों की बात छुपायी गयी थी. इसके बाद ये भी कहा जा रहा है कि उस समय विधानसभा में झूठ क्यों बोला गया ? क्या हेमन्त सरकार इसकी जांच कर घायलों को न्याय दिलाएंगे और दोषियो पर कार्रवाई करेंगे ? घटना में घायल मंटू सोनी ने गुरुवार को डीजीपी को तथ्यों और सबूतों के साथ आवेदन देकर न्याय और दोषियों पर कार्रवाई की मांग कि है. घटना में घायल महिला जुबैदा खातून के कमर में अब तक गोली फंसी हुई है, वह अभी भी तक न्याय का इंतजार कर रही है.
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पुलिस ने मिस्टेक ऑफ फैक्ट्स बता आरोपियों को किया था बरी
गोलीकांड के बाद घायल अवस्था में सभी छह लोगों जेल भेज दिया गया था. जिसके बाद सभी ने जेल से कोर्ट कंप्लेन केस किया था. कोर्ट ने पुलिस को मामला दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया था. लेकिन इसके बावजूद पुलिस द्वारा कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था. तब जा कर पूरा मामला हाईकोर्ट पहुंचा था. हाईकोर्ट के जस्टिस रंगोंन मुखोपाध्याय की अदालत ने निष्पक्ष जांच और कार्रवाई करने का आदेश दिया था. पुलिस ने हाईकोर्ट के आदेश को ताक पर रखकर एकतरफा जांच की और आरोपियों को फैक्ट्स ऑफ मिस्टेक करार देकर कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट सौंप दिया.
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किसान अधिकार रैली में 6 लोगों को लगी थी पुलिस की गोली
14 अगस्त 2015 को ढेंगा में किसान अधिकार महारैली के दौरान ग्रामीण और पुलिस के बीच झड़प हुई थी. इस दौरान पुलिस की ओर से आत्मरक्षा की बात कहते हुए फायरिंग की गयी थी. जिसमें छह लोगों को गोली लगी थी. घायलों को बड़कागांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक इलाज के बाद हजारीबाग सदर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था. इसके बाद सदर अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस केस की इंट्री करते हुए पुलिस को सूचित किया था. इसके बाद हजारीबाग पुलिस ने घायलों का बयान लिया. सभी ने अपने बयान में उस दिन कहा था कि पुलिस ने जानबूझ कर हम पर गोलियां चलायी. प्रशासन की ओर से तत्कालीन एसडीओ अनुज प्रसाद के बयान पर घायलों सहित कुल 67 लोगों पर बड़कागांव थाना में कांड संख्या 167/15 दर्ज किया गया था. केस में पुलिस द्वारा इंसास रायफल से 22 राउंड फायरिंग किये जाने की बात भी कही गयी थी. जबकि सभी घायलों को घायलावस्था में सदर अस्पताल से 17 अगस्त को हजारीबाग जेल भेज दिया गया था.
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