Ranchi : नक्सलियों से लड़ने के लिए बनी STF और अतिरिक्त 20 असाल्ट ग्रुप को भत्ता देने में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. इस मामले का खुलासा उच्चस्तरीय समिति की जांच में हुई है. समिति ने नियम विरुद्ध लिये गये भत्ता को ‘अनाधिकृत खर्च’ माना है. जांच में 2008 से 2019 तक गलत तरीके से 50% एसटीएफ भत्ता लेने का पता चला है. इस मद में 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च का अनुमान लगाया जा रहा है.जांच समिति ने वास्तविक राशि का पता लगाने के लिए एजी से गणना कराने का सुझाव दिया है. एसटीएफ में प्रतिनियुक्त अधिकारियों को देय भत्ता व अन्य सुविधाओं पर उभरे विवाद के निबटारे के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति ने अब अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. रिपोर्ट में इसका भी उल्लेख है कि भत्ता देने में हर स्तर पर वेतन पर्ची जारी करने के दौरान नियमों की अनदेखी की गयी है.
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अलग-अलग तर्क पेश किये गये थे
भत्ता देने में गड़बड़ी के मामले के निबटारे के लिए राज्य सरकार ने पहली बार मार्च 2019 में विकास आयुक्त की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति गठित की. लेकिन, काम टलता रहा. तब जनवरी 2020 में राजस्व पर्षद सदस्य एपी सिंह की अध्यक्षता में एक बार फिर उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया. इस समिति में एसटीएफ के अधिकारी को भी शामिल किया गया. समिति की बैठकों में एसटीएफ के अधिकारियों को मूल वेतन का 50% भत्ता देने को सही करार देने के लिए अलग-अलग तर्क पेश किये गये.हालांकि, समिति के अध्यक्ष ने एसटीएफ के गठन के लिए जारी सरकारी आदेशों के मद्देनजर उसे अस्वीकार कर दिया.
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19 फरवरी 2008 को एसटीएफ के गठन का आदेश जारी किया था
सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि गृह विभाग ने 19 फरवरी 2008 को एसटीएफ के गठन का आदेश जारी किया. इसमें क्रमांक 1-21 तक के कुल 1989 पद सृजित किये गये. आदेश में एसटीएफ में पद क्रमांक 1-13 तक को प्रतिनियुक्ति से, शेष पदों को नियुक्ति से भरे जाने और सिर्फ प्रतिनियुक्त अधिकारियों को मूल वेतन का 50% एसटीएफ भत्ता देने का उल्लेख है. वहीं, जैप और जिला कार्यकारी बल से ही एसटीएफ में पुलिस अधिकारियों की प्रतिनियुक्त करने की बात कही गयी है. दूसरी ओर, भारत सरकार के कार्मिक प्रशासनिक सुधार विभाग के आदेश के आलोक में एसटीएफ में पदस्थापित राज्य के आइपीएस अफसरों को प्रतिनियुक्त नहीं माना जा सकता है. यानी डीआइजी, आइजी, एसपी के पद को कैडर पोस्ट माना गया है. इस तरह 2008 के आदेश में जिन्हें एसटीएफ भत्ता नहीं देना था, उन्हें भी दिया गया.
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मूल वेतन का 50% भत्ता देने का प्रावधान नहीं किया गया
गृह विभाग ने 22 दिसंबर 2009 को दूसरा आदेश जारी कर 20 अतिरिक्त असाल्ट ग्रुप के गठन का फैसला किया. इस आदेश में किसी को मूल वेतन का 50% भत्ता देने का प्रावधान नहीं किया गया. इसके बावजूद इन्हें एसटीएफ भत्ता दिया गया. इस मुद्दे पर सवाल उठाये जाने के बाद समिति के सामने गृह विभाग द्वारा पांच मार्च 2019 को अतिरिक्त असाल्ट ग्रुप को 50% भत्ता देने से संबंधित आदेश पेश किया गया. तब समिति के अध्यक्ष ने लिखा कि 2019 को जारी आदेश के आलोक में 2009 से किसी को भत्ता नहीं दिया जा सकता. इसलिए यह खर्च भी ‘अनाधिकृत खर्च’ की श्रेणी में आता है. वहीं, राज्य में सातवें वेतन पुनरीक्षण के मद्देनजर 50% भत्ता देने का मांग उठी. हालांकि, वित्त विभाग ने इस पर विचार करने के बाद छठे वेतनमान के हिसाब से ही एसटीएफ भत्ता जारी रखने का आदेश दिया. इसके बावजूद वित्त विभाग ने डीएसपी स्तर के अधिकारियों को सातवें वेतनमान के मद्देनजर 50% एसटीएफ भत्ता देने से संबंधित वेतन पर्ची जारी कर दिया.
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पद संख्या 14 से शेष पदों को सीधी नियुक्ति से भरा जायेगा
एसटीएफ के लिए देय सुविधा व अन्य प्रावधान 19 फरवरी 2008 को जारी आदेश में कहा गया है कि एसटीएफ में पद संख्या 1-13 तक झारखंड सशस्त्र पुलिस बल और जिला कार्यकारी बल से प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरा जायेगा. इन पदों को तीन-तीन साल के रोटेशन पर भरा जायेगा. पद संख्या 14 से शेष पदों को सीधी नियुक्ति से भरा जायेगा. आदेश में सुविधाओं को उल्लेख करते हुए कहा गया कि एसटीएफ में प्रतिनियुक्त सभी पुलिस पदाधिकारियों को मूल वेतन का 50% एसटीएफ भत्ता दिया जायेगा. डीएसपी तक के पुलिस अधिकारियों को 720 रुपये प्रति माह राशन का खर्च दिया जायेगा. एएसआइ से आइजी तक के अधिकारियों को 4500 रुपये सालाना वर्दी भत्ता और हवलदार से सिपाही तक के सभी पुलिसकर्मियों को 300 रुपये प्रति माह वर्दी प्रतिपालन भत्ता दिया जायेगा.
साभार: प्रभात खबर
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