Ranchi : झारखंड में औसतन हर दिन एक महिला दहेज की वजह से मौत की शिकार हो रही है. झारखंड पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि राज्यों के अलग-अलग जिलों से पिछले 485 दिनों (16 महीनों) के दौरान दहेज के लिए मौत के 352 मामले सामने आए हैं. यह आंकड़े साल 2020 के जनवरी महीने से लेकर साल 2021 के अप्रैल महीने तक का है.
485 दिनों में 352 मौत के मामले
झारखंड के अलग-अलग जिलों में पिछले 16 महीने यानि 485 दिनों के दौरान दहेज के लिए 352 महिलाओं की मौत हुई है. जिनमें साल 2020 के जनवरी में 22, फरवरी में 20, मार्च में 18, अप्रैल में 20, मई में 20, जून में 34, जुलाई में 27, अगस्त में 31, सितंबर में 24, अक्टूबर में 13, नवंबर में 26 और दिसंबर में 18 हुई है. जबकि साल 2021 के जनवरी में 18, फरवरी में 17, मार्च में 27 और अप्रैल में 17 हुई है.
दहेज उत्पीड़न मामले में ये है सजा का प्रावधान
आइपीसी की धारा 498-ए दहेज के लिए उत्पीड़न से जुड़ी है. इसमें महिला के पति और उसके रिश्तेदारों की ओर से दहेज की मांग पर सजा का प्रावधान है. ऐसे मामलों में 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है. इसके अलावा आइपीसी की धारा 406 के तहत अगर महिला का पति या उसके ससुराल के लोग उसके मायके से मिला पैसा या सामान उसे सौंपने से मना करते हैं तो इस मामले में भी तीन साल की कैद और जुर्माना हो सकता है.
दहेज हत्या पर उम्रकैद की सजा
आइपीसी की धारा 304 बी में यह प्रावधान है कि दहेज के लिए हत्या का मामला साबित होने पर कम से कम सात साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक दी जा सकती है. कानून के मुताबिक, यदि शादी के सात साल के भीतर असामान्य परिस्थितियों में लड़की की मौत होती है और मौत से पहले दहेज प्रताड़ना का आरोप साबित हो जाता है तो महिला के पति और रिश्तेदारों को ये सजा हो सकती है.
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