Ranchi : डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में बुधवार को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 121वीं जयंती मनाई गयी. इस अवसर पर अतिथि वक्ता प्रोफेसर डॉ आनंद वर्धन, सचिव भारतीय संग्रहालय संघ ने डॉ मुखर्जी के जीवन के विभिन्न उतार-चढ़ावों के साथ-साथ एक राजनेता के रूप में उनके बुनियादी फैसलों पर चर्चा की. कार्यक्रम में कुलपति प्रो डॉ तपन कुमार शांडिल्य, कुलसचिव डॉ. नमिता सिह, डीएसडब्ल्यू अनिल सिंह, पीआरओ राजेश सिंह उपस्थित रहे. इस अवसर पर नृत्य और संगीत विभाग के छात्रों ने अपनी प्रस्तुति दी. कला एवं संस्कृति विभाग के छात्रों ने नटराज नृत्य किया. उसके बाद झारखंडी गीतों पर नृत्य किया गया, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया.
अमर शहीदों की तरह डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी याद करना चाहिए- कुलपति
इस अवसर पर कुलपति प्रो डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि हमें डॉ मुखर्जी को उसी तरह याद करना चाहिए, जैसे हम सिद्धू-कान्हो, तिलका मांझी और अन्य अमर शहीदों को याद करते हैं. वे भी एक शहीद हैं, जिन्होंने कश्मीर के लिए लड़ते हुए अपना जीवन खो दिया. उद्योग के संबंध में डॉ मुखर्जी के फैसलों पर चर्चा करते हुए वीसी ने जवाहरलाल नेहरू और डॉ मुखर्जी के व्यवसाय के निर्माण के मॉडल की तुलना की. इसके अलावा शिक्षकों के महत्व की बात करते हुए वीसी ने कहा कि शिक्षक विश्वविद्यालय की रीढ़ की तरह होते हैं.
श्यामा प्रसाद मुखर्जी को शब्दों में समेट पाना आसान नहीं है: डॉ आनंद वर्धन
मुख्य अतिथि के तौर पर राष्ट्रीय संग्रहालय के सचिव डॉ. आनंद वर्धन ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को शब्दों में समेट पाना इतना आसान नहीं है. उन्हें बहुत सारे रूपों में याद किया जाता है. संघ प्रचारक के रूप में, शिक्षाविद के रूप में , एक राजनीतिज्ञ के रूप में, समाजसेवी के रूप में. ये सारे व्यक्तित्व उनके पिता की छाया के रूप में हम देखते हैं. उनके पिता भी शिक्षाविद थे.
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