Beirut : सीरिया में मिलिट्री एकेडमी पर ड्रोन हमले में 100 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है. इनमेे 86 सैन्य छात्र और 14 सिविलियंस शामिल हैं. हमले के समय वहां परेड चल रही थी. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
खबरों के अनुसार सीरिया के मध्यवर्ती शहर होम्स में गुरुवार को सेना के पासिंग आउट परेड समारोह में ड्रोन हमला हुआ, जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गये. 240 लोगों के घायल होने की सूचना है.
सीरिया के रक्षा मंत्री अली महमूद अब्बास बाल-बाल बचे
ड्रोन हमले में सीरिया के रक्षा मंत्री अली महमूद अब्बास बाल-बाल बचे हैं. वे वहां ग्रेजुएशन सेरेमनी में चीफ गेस्ट के तौर पर शामिल हुए थे. उनके निकलने के कुछ मिनट बाद ही ड्रोन से वहां बमबारी और गोलीबारी शुरू हो गयी.
हताहतों में आम नागरिक और सैन्यकर्मी दोनों शामिल हैं. एक स्वास्थ्य अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है. इस हमले को हाल के वर्षों में सीरियाई सेना पर सबसे घातक हमलों में से एक बताया जा रहा है.
सीरिया में पिछले तेरह वर्षों से संघर्ष चल रहा है
ड्रोन हमले के बाद, सीरियाई सरकारी बलों द्वारी विद्रोहियों के कब्जे वाले उत्तर-पश्चिम के इदलिब प्रांत के गांवों पर गोलाबारी किये जाने का खबर है. बता दें कि सीरिया में पिछले तेरह वर्षों से संघर्ष चल रहा है. शहर के स्वास्थ्य निदेशक डॉ मुसलेम अल-अतासी ने बताया कि कई घायलों की हालत गंभीर है. अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. सीरिया की सेना ने अपने बयान में कहा कि विस्फोटकों से युक्त ड्रोन ने युवा अधिकारियों और उनके परिवारों को निशाना बनाया.
सरकार ने शुक्रवार से तीन दिन के शोक की घोषणा की
सेना ने हमले को लेकर किसी विशेष समूह का नाम तो नहीं लिया, लेकिन हमले के लिए ज्ञात अंतरराष्ट्रीय ताकतों की ओर से समर्थित विद्रोहियों पर हमले का आरोप लगाया. किसी भी संगठन ने अभी हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.हमले के संदर्भ में सीरिया के सरकारी टेलीविजन ने कहा कि सरकार ने शुक्रवार से तीन दिन के शोक की घोषणा की है.
ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स, एक विपक्षी युद्ध मॉनिटर और सरकार समर्थक शाम एफएम’ रेडियो स्टेशन ने सबसे पहले हमले की खबर दी थी. सीरियाई सेना ने कहा है कि वह इन आतंकवादी संगठनों को पूरी ताकत से जवाब देगी.
2011 के बाद से सीरिया में जारी है गृह युद्ध
सीरियाई संकट संकट की बात करें तो मार्च 2011 में राष्ट्रपति बशर असद की सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था. असद सरकार ने प्रदर्शनकारियों को क्रूरता से दबाया. इसके बाद से यह गृहयुद्ध में बदल गया.