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Ranchi: एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को रिम्स में अव्यवस्था पर तल्ख टिपण्णी की है. अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि अगर रिम्स में बेहतर मेडिकल सुविधा और चिकित्सा उपकरण उपलब्ध नहीं है, तो इसे चालू रखने का कोई औचित्य नहीं है. रिम्स में अव्यवस्था के कारण लोग प्राइवेट अस्पतालों में जाने को मजबूर हो जाते हैं. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि रिम्स में आए दिन मरीजों के इलाज में लापरवाही की घटनाएं भी सामने आती हैं. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि राज्य में ऐसे कितने प्राइवेट अस्पतालों पर कार्रवाई की गई है, जिन्होंने क्लिनीकली इस्टेब्लिशमेंट एक्ट का अनुपालन नहीं किया. वहीं एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा अस्पतालों में बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल सिस्टम के मामले में दिए गए जवाब पर हाईकोर्ट ने असंतुष्टि जताया. कोर्ट ने कहा कि विभाग यह दावा कर रहा है कि राज्य में 1633 प्राइवेट अस्पताल बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल तय मानकों के मुताबिक करते हैं. लेकिन रिम्स जैसे बड़े संस्थानों का मेडिकल वेस्ट अस्पताल के बरामदे में फेंका हुआ दिखाई देता है. अगली सुनाई तक अदालत ने स्वास्थ्य निदेशक को यह बताने को कहा है कि बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल के लिए कितने अस्पतालों ने करार किया है.
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