Ranchi : झारखंड में पिछले 37 दिनों के दौरान आठ बड़े इनामी नक्सली कम हुए है. इन 37 दिनों के दौरान झारखंड पुलिस की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर 25 लाख इनामी विमल यादव समेत चार नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया. तीन बड़े नक्सली गिरफ्तार हुए, जबकि एक नक्सली मुठभेड़ में मारा गया. झारखंड में अब सिर्फ 103 इनामी नक्सली बचे है. जिसके लिए झारखंड पुलिस लगातार अभियान चला रही है.
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जानें कैसे आठ बड़े इनामी नक्सली हुए कम
22 जनवरी: 10 लाख इनामी नक्सली महाराजा प्रमाणिक ने सरेंडर किया.
10 फरवरी: लोहरदगा में एक लाख इनामी नक्सली दिनेश नगेशिया मारा गया.
25 फरवरी: 25 लाख इनामी नक्सली विमल यादव ने किया सरेंडर.
22 फरवरी: 10 लाख इनामी नक्सली बलराम उरांव गिरफ्तार.
26 फरवरी: पांच लाख इनामी दो नक्सली सुदर्शन भुइयां और बालक गंझू को गिरफ्तार किया गया
1 मार्च: दस लाख इनामी सुरेश मुंडा और दो लाख इनामी लोदरो लोहरा ने किया सरेंडर
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103 नक्सली है वांटेड, जिनपर करोड़ों का इनाम
103 नक्सली वांटेड हैं, जिनपर करोड़ों के इनाम हैं. झारखंड पुलिस चार जोन में बांटकर नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चला रही है. इनमें एक जोन है सारंडा का जो सबसे बड़ा है. इसमें सरायकेला-खरसांवा, खूंटी, रांची व पश्चिमी सिंहभूम का सीमावर्ती क्षेत्र, पारसनाथ क्षेत्र, गुमला, लोहरदगा व लातेहार का क्षेत्र तथा बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र जिसमें गढ़वा, पलामू, लातेहार आदि की सीमा सटती है. इन क्षेत्रों में नक्सलियों का अलग-अलग गिरोह सक्रिय है.
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झारखंड में इन संगठनों का इस समय उत्पात जारी
राज्य के 16 जिलों में पांच नक्सली संगठन लगातार झारखंड पुलिस को चुनौती दे रहे हैं. इनमें भाकपा माओवादी, पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ), तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (टीएसपीसी), झारखंड जन मुक्ति परिषद् (जेजेएमपी) व झारखंड प्रस्तुति कमेटी (जेपीसी) शामिल हैं
जेपीसी को छोड़ शेष चार संगठन के 103 हार्डकोर नक्सलियों-उग्रवादियों के खिलाफ राज्य सरकार ने एक लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक का इनाम रखा है, जिनकी तलाश जारी है. नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर मुख्य धारा से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने आत्मसमर्पण नीति का रास्ता भी नक्सलियों-उग्रवादियों के लिए छोड़ रखा है, ताकि राज्य से नक्सल समस्या का समाधान हो सके.
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झारखंड के इन 16 जिलों में सक्रिय है नक्सली
वर्तमान में झारखंड के जिन 16 जिलों में नक्सली सक्रिय हैं. उनमें रांची, खूंटी, बोकारो, चतरा, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, लातेहार, लोहरदगा, पलामू, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम शामिल हैं. वहीं आठ अति उग्रवाद प्रभावित जिलों में चतरा, गिरिडीह, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम शामिल हैं.
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