Akshay Kumar Jha
Ranchi: सरकार बनने के बाद से ही दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) लगातार…हेमंत सरकार पर बकाया राशि को लेकर हावी है. बकाया नहीं दिये जाने पर डीवीसी की तरफ से अपने कमांड एरिया में बिजली कटौती भी की गयी. शुक्रवार को डीवीसी ने एक प्रेस रिलीज जारी किया. इसमें बताया गया कि अगर जेवीबीएनएल को डीवीसी से निर्बाध बिजली लेनी है तो उसे जेवीबीएनएल को लेटर ऑफ क्रेडिट जारी करना होगा. अन्यथा पैसे एडवांस में देने होंगे. डीवीसी ने जनता से सीधा डीवीसी का उपभोक्ता बनने की बात भी कही.
शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी बिजली के केंद्रीय बिजली राज्य मंत्री आरके सिंह से मुलाकात की. रघुवर दास ने इसकी जानकारी ट्वीट कर दी कि मुलाकात के दौरान मंत्री से झारखंड में बिजली व्यवस्था पर बात की. रघुवर की तरफ से एक प्रेस रिलीज भी जारी की गयी. दिलचस्प बात है कि रघुवर दास की प्रेस रिलीज हू-ब-हू डीवीसी की प्रेस रिलीज जैसी थी. रघुवर दास ने इस साल के बकाया के बारे में प्रेस रिलीज में लिखा. लेकिन, इसको छुपा गये कि उनका कार्यकाल समाप्त होने तक डीवीसी का राज्य पर कितना बकाया था. डीवीसी और रघुवर दास दोनों की प्रेस रिलीज में सिर्फ अप्रैल 2020 से लेकर नवंबर 2020 तक के बकाया का जिक्र है. उससे पहले का नहीं. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या डीवीसी भाजपा की भाषा बोल रहा है. बीजेपी के उपाध्यक्ष रघुवर दास और डीवीसी दोनों का लिखा एक कैसे हो सकता है.
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डीवीसी का सिर्फ 50 करोड़ ही बकायाः जेवीबीएनएल
डीवीसी और राज्य सरकार की कंपनी जेवीबीएनएल बिजली मद में बकाया को लेकर आमने-सामने हैं. डीवीसी का कहना है कि इस सरकार पर उसका अप्रैल 2020 से लेकर नवंबर तक 882.18 करोड़ बकाया है. भुगतान नहीं देने पर डीवीसी बिजली आपूर्ति ठप कर सकता है. इधर लगातार… से बात करते हुए जेवीबीएनएल के वाणिज्य एवं राजस्व के निदेशक केके वर्मा ने साफ कहा है कि उन्हें डीवीसी को सिर्फ 50 करोड़ रुपया देना है. वर्मा का कहना है कि सितंबर महीने में डीवीसी की तरफ से जेवीबीएनएल को रेगुलेशन के लिए 150 करोड़ बकाया अदा करने को कहा गया था. 8 जनवरी को जेवीबीएनएल की तरफ से डीवीसी को 100 करोड़ बकाया दिया जा चुका है. कहा कि इसी महीने डीवीसी को और 50 करोड़ बकाया चुका दिया जायेगा. इसके बाद डीवीसी और जेवीबीएनएल के बीच कोई विवाद नहीं रहेगा. डीवीसी को निर्बाध बिजली जेवीबीएनएल को देनी होगी.
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पुराने बकाया का मामला चल रहा APTEL कोर्ट में
हेमंत सरकार जब बनी तो जेवीबीएनएल पर डीवीसी का करीब 5000 करोड़ का बकाया बाकी था. इसे चुकता करने का दबाव डीवीसी की तरफ से बनाया जा रहा है. लेकिन इस बकाया के बारे में पूछे जाने पर जेवीबीएनएल के वाणिज्य और राजस्व विभाग के निदेशक केके वर्मा का कहना है कि पुराने बकाया का मामला दिल्ली के Appellate Tribunal For Electricity में लंबित है. लिहाजा फैसला आने तक इस बकाया के बारे में ना ही विभाग बात कर सकता और ना ही मीडिया में बकाया की ब्रीफिंग कर सकता है. उन्होंने दोबारा कहा कि जेवीबीएनएल पर डीवीसी पर सिर्फ 50 करोड़ बकाया है, जिसे इस महीने देने की बात है.