Bermo: DVC का बोकारो थर्मल बी प्लांट को पूर्ण रूप से बंद कर दिए जाने की बेरमो में काफी चर्चा हो रही है. दरअसल डीवीसी के पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में पावर प्लांट स्थापित है. लेकिन डीवीसी का मुख्यालय कोलकाता है. जब एकीकृत बिहार था उस समय से ही डीवीसी पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगता रहा है. डीवीसी द्वारा बहाली से लेकर मजदूरों की सुविधाओं को लेकर पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों के लिए अलग-अलग व्यवहार किया जाता रहा है. बताया जाता है कि पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में इससे पुराना पावर प्लांट है. जबकि बोकारो थर्मल का बी प्लांट, दुर्गापुर से काफी अच्छा और लाभदायक है. इसके बावजूद भी दुर्गापुर प्लांट को बंद न कर बोकारो थर्मल के बी प्लांट को बंद कर दिया गया.
इसे भी पढ़ें- कोरोनावायरस के नये वैरिएंट डेल्टा प्लस को लेकर राहुल गांधी के मोदी सरकार से तीन सवाल
बता दें कि वर्ष 1982 में दुर्गापुर का चार नंबर यूनिट बना था, लेकिन आज भी इस यूनिट से बिजली उत्पादित की जा रही है. वर्ष 1992 में बी प्लांट आया था. इसके बावजूद इस प्लांट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया. UCW के अध्यक्ष ब्रजकिशोर सिंह का कहना है कि बोकारो थर्मल बी प्लांट के तीन नंबर यूनिट को बंद किया जाना राज्य सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि की निष्क्रियता का परिणाम है. जबकि पश्चिम बंगाल सरकार और जनप्रतिनिधियों के दवाब के कारण दुर्गापुर का प्लांट जो 40 साल पुराना है डीवीसी बंद नही कर सकी. राज्य सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और सकारात्मक पहल करनी चाहिए.
इसे भी पढ़ें- रांची एयरपोर्ट से नाबालिगों को जम्मू ले जा रहे दो दलाल पकड़ाए
तीन सौ कर्मचारी कार्यरत थे
डीवीसी के बोकारो थर्मल बी प्लांट में लगभग ढाई सौ से तीन सौ कर्मचारी कार्यरत थे. इन सभी कामगारों को नया प्लांट में शिप्ट कर दिया गया. लेकिन यदि बी प्लांट बंद नहीं किया जाता तो वे मजदूर इसी प्लांट में काम करते और नए प्लांट के लिए मजदूरों की जरूरत के अनुसार नई बहाली होती. दुकानदारों का कहना है कि बी प्लांट में सरकारी कर्मचारियों के अलावा ठेका मजदूर भी कार्यरत था. इन मजदूरों को जो काम मिलता था वह समाप्त हो गया.
इसे भी पढ़ें- रांची जिले के सभी प्रखंडों में मनरेगा दिवस पर लगाए जाएंगे पेंशन शिविर