Ranchi : समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की गूंज अब झारखंड से निकलकर दिल्ली तक पहुंच गयी है. झारखंड सहित विभिन्न राज्यों के आदिवासियों ने दिल्ली के जंतर-मंतर में धरना-प्रदर्शन किया. इस कार्यक्रम के जरिए यूसीसी कानून के दायरे से आदिवासियों को बाहर रखने, मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार एवं आदिवासियों के नरसंहार तथा वन संरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 को निरस्त करने की मांग केंद्र सरकार से की गयी. आदिवासी समन्वय समिति, भारत के बैनर तले आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आदिवासी समन्वय समिति के समन्वयक पूर्व मंत्री देव कुमार धान ने की. इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के डॉ सुबोध हंसदा, सुखचंद सोरेन, मोतीलाल सोरेन, झारखंड से आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा, आदिवासी लोहरा समाज के अभय भुटकुंवर, राजी पड़हा प्रार्थना सभा भारत के जलेश्वर उरांव, महाराष्ट्र से विश्वनाथ वाकड़े, भुवन सिंह कोराम सहित उड़िशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, मणिपुर से आदिवासी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
यूसीसी कानून के दायरे से आदिवासियों को बाहर किया जाए
कार्यक्रम में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि आदिवासियों को यूसीसी से बाहर रखा जाए, क्योंकि यूसीसी आदिवासियों को खत्म कर देगा. केंद्र सरकार जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कॉलम यथाशीघ्र दे. साथ ही आदिवासियों एवं वन में निवास करने वाले वासियों के लिए काला कानून वन संरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 को यथाशीघ्र निरस्त किया जाए. साथ ही मणिपुर में रहने वाले आदिवासियों को यथाशीघ्र इंसाफ दिया जाए. दोषियों पर करवाई की जाए.
कुरमी को एसटी बनाये जाने की मांग का विरोध
आदिवासी समन्वय समिति भारत के द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री को मांग पत्र सौपा गया. जिसमें समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से आदिवासियों को बाहर रखने की मांग, जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कॉलम की मांग, कुरमी/कुड़मी को आदिवासी बनाने का विरोध किया गया.
11 फरवरी को रांची में जमीन लूट के खिलाफ रैली
आदिवासियों की जमीन लूट के खिलाफ 11 फरवरी को रांची के मोरहाबादी मैदान में रैली करने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से आदिवासियों को बाहर रखने एवं आदिवासियों के लिए अलग धर्म कलम की मांग को लेकर 25 फरवरी को दिल्ली के जंतर मंतर में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया.| धरना प्रदर्शन में पूरे देश से आदिवासियों के हिस्सा लेने की बात कही गयी.
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