Ranchi: बैंक धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है. रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड पर 1030 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में ईडी ने कार्रवाई की है. इसके तहत ईडी ने मधुकान ग्रुप की 80.65 करोड़ की चल-अचल संपत्ति अस्थायी रूप से अटैच कर ली है. अटैच की गई सभी संपत्तियां नागेश्वर राव और उनके परिवार के सदस्यों से संबंधित हैं. ED ने जिन संपत्तियों को अटैच (जब्त) किया है, उसमें हैदराबाद के खम्मम जिला में 67.08 करोड़ और प्रकाशम जिले में 13.57 करोड़ की संपत्ति शामिल हैं.
क्या है पूरा मामला
पूरा मामला मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड के माध्यम से बैंक से जालसाजी का मामला है. जिसमें ED ने मनी लॉड्रिंग के तहत केस दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया है. मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड मधुकान समूह की कंपनी है. इस कंपनी के खिलाफ सीबीआई की रांची स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) में 12 मार्च 2019 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी. सीबीआई ने 30 दिसंबर 2020 को इस कंपनी और इसके सहयोगियों पर चार्जशीट किया था. इसके बाद ही सीबीआई में मामले में अनुसंधान शुरू किया था. मनी लॉड्रिंग के तहत अनुसंधान के दौरान ED को मधुकान ग्रुप के माध्यम से अवैध तरीके से बनायी गई 361.29 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति का पता चला है, जिसपर आगे का अनुसंधान जारी है.
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रांची-टाटा मार्ग पर 163 किलोमीटर के फोर लेन निर्माण का मिला था काम
मधुकान ग्रुप की कंपनी मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने राष्ट्रीय राजमार्ग-33 पर 114 से 277.50 किलोमीटर यानी कुल 163.50 किलोमीटर के फोर लेन निर्माण का प्रोजेक्ट दिया था. निर्माण कार्य रांची-टाटा रोड पर रांची से रड़गांव तक के लिए था. काम 18 मार्च 2011 को कंपनी को मिला था. कंपनी के संस्थापक निदेशक कम्मा श्रीनिवास राव, नामा सीतैया व नामा पृथ्वी तेजा थे. आरोप है कि कंपनी ने पूरी ऋण राशि प्राप्त करने के बावजूद परियोजना को पूरा नहीं किया. जिसके चलते बाद में उसका अनुबंध समाप्त कर दिया गया. इसके बाद गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) व एनएचएआइ की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था.
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केनरा बैंक से लिया था 1030 करोड़ रुपये का ऋण
ED जांच में पता चला कि मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड ने अपने निदेशकों व प्रोमोटरों के सहयोग केनरा बैंक से 1030 करोड़ रुपये का ऋण ले लिया था. ऋण जिस उद्देश्य के लिए लिया था, उसका उपयोग नहीं कर, उस राशि को दूसरी जगह स्थानांतरित किया. मुखौटा कंपनियों में राशि का हस्तांतरण किया. कंपनी पूरी राशि निकालने के बावजूद काम पूरा नहीं कर सकी.फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर बैंक के साथ भी धोखाधड़ी की गई. राष्ट्रीय राजमार्ग अथॉरिटी को भी धोखा दिया. बाद में कंपनी का खाता एनपीए हो गया. मधुकान ग्रुप ने केवल 50.24 प्रतिशत ही काम किया और ऋण की राशि 90 प्रतिशत तक निकाल ली. ईडी जांच में यह बात सामने आई है कि मधुकान समूह ने परियोजना के लिये गए ऋण की हेराफेरी कर दी.