Ranchi: ईडी ने आयुष्मान घोटाले में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के पीएस ओम प्रकाश, सरकारी अधिकारियों सहित अन्य के कुल 21 ठिकानों पर छापा मारा. छापेमारी के दौरान झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी(झसास) के एडिशनल एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अभिषेक श्रीवास्त, सीनियर कंसल्टेंट वैभव राय के आलावा सेफवे टीपीए और इंश्यूरेंस कंपनी के कर्मचारी के ठिकानों पर छापा मारा.
छापेमारी के दौरान कुल 20 लाख रुपये कैश और निवेश से संबंधित दस्तावेज जब्त किये गये. हालांकि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री का पीएस ईडी के हाथ नहीं लगा. वह छापेमारी से पहले घर से बाहर निकला था. ईडी अधिकारियों के साथ संपर्क होने के बाद उसने अपना मोबाइल बंद कर लिया.
ईडी ने शुक्रवार की सुबह करीब सात बजे आयुष्मान घोटाले से जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापा मारा. झारखंड में रांची,जमशेदपुर, बोकारो के कुल 17 ठिकानों, पश्चिम बंगाल के दो और उत्तर प्रदेश और दिल्ली के एक एक ठिकानों पर छापेमारी की गयी.
ईडी ने छापेमारी के दायरे में राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के प्राइवेट सेक्रेटरी ओम प्रकाश के जमशेदुप स्थित ठिकानों पर छापा मारा. ओम प्रकाश पर घोटाले में शामिल लोगों के साथ करीबी संपर्क रखने का आरोप है. ईडी बन्ना गुप्ता के प्राइवेट सेक्रेटरी के इस घोटाले की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देख रही है.
ईडी ने आयुष्मान घोटाले में जिन सरकारी अधिकारियों के ठिकानों पर छापा मारा है उसमें झसास के पूर्व एडिशनल एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर अभिषेक श्रीवास्तव और सीनियर कंसल्टेंट वैभव राय का नाम शामिल है. ईडी ने पूर्व एडिशनल डायरेक्टर को नियुक्तियों को आसान बनाने और अवैध लेनदेन को बढ़ावा देने में शामिल पाया है.
ईडी ने प्रारंभिक जांच में आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज के फर्जी दावों का भुगतान कराने में सीनियर कंसल्टेंट वैभव राय की संलिप्तता पायी है. ईडी ने नीरज कंसल्टेंट कंपनी से जुड़े लोगों को भी छापेमारी के दायरे में शमिल किया है. इसके अलावा फर्जी दावों के भुगतान में थर्ड पार्टी असेसमेंट(टीपीए) का काम करने वाली कंपनी सेफवे टीपीए के कर्मचारियों दयाशंकर चौधरी के अलावा नेशनल इंश्यूरेंस कंपनी कर्मचारी मनीष के ठिकानों को छापेमारी की दायरे में शामिल किया गया है.
दयाशंकर चौधरी ने अपना एक अस्पताल भी खोल रखा है. झारखंड में थर्ड पार्टी असेसमेंट का काम सेफवे इंश्यूरेंस ब्रोकर प्राइवेट लिमिटेड की सेफवे टीपीए नामक कंपनी करती है. सेफवे प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक इंद्रजोत सिंह को सरकारी बीमा योजना में गड़बड़ी करने के आरोप में अहमदाबाद सीबीआई कोर्ट पांच साल की सजा सुना चुकी है. झारखंड में भी सेफवे टीपीए के एक कर्मचारी द्वारा अस्पतालों के किये जाने वाले भुगतान में 10 प्रतिशत की दर से कमीशन लेने का वीडियो पिछले दिनों वायरल हुआ था.
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मुर्दों का इलाज करने वाले सनसाइन हॉस्पिटल में भी रेड
ईडी ने हजारीबाग के सनसाइन हॉस्पिटल पर भी छापा मारा है. इस अस्पताल पर भी मुर्दों का इलाज करने का आरोप लगा था और अस्पताल को निलंबित कर दिया गया था. हालांकि बाद में इसे फिर से अस्पताल चलाने की अनुमति दे दी गयी. इस अस्पताल में भर्ती एक मरीज की मौत हो गयी थी. लेकिन आयुष्मान के पोर्टल पर उसका इलाज चल रहा था.
जांच के दौरान मरीज के नंबर पर फोन कर उसकी स्थिति की जानकारी ली. इसमें इस बात की जानकारी मिली कि मरीज की मौत तीन दिन पहले हो चुकी है और उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है. इस घटना के बाद सरकार के स्तर से अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गयी. हालांकि बाद में इसे बंद कर दिया गया.
क्या है मामला
भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा संसद में आयुष्मान योजना पर रिपोर्ट पेश करने के बाद ईडी ने स्वास्थ्य विभाग से योजना में हुई गड़बड़ी और की गयी कार्रवाई से संबंधित जानकारी मांगी थी.
जवाब में राज्य सरकार ने ईडी को पत्र भेज कर आयुष्मान योजना में हुई गड़बड़ी और की गयी कार्रवाई से संबंधित रिपोर्ट भेजी थी. साथ ही गड़बड़ी के सिलसिले में दर्ज की गयी प्राथमिकी की जानकारी दी थी.
ईडी ने इन प्राथमिकियों के आधार पर इसीआईआर दर्ज की थी. मामले की प्रारंभिक जांच में ईडी ने पाया कि सुनियोजित साजिश के तहत आयुष्मान भारत योजना में फर्जी दावों के आधार पर अस्पतालों को भुगतान किया गया है.
भुगतान करने के लिए फर्जी दस्तावेज का सहारा लिया गया. फर्जी दावों के भुगतान के लिए सरकारी अधिकारियों, थर्ड पार्टी असेसमेंट में लगी कंपनी, इंश्योरेंस कंपनी सहित अन्य लोगों की बीच साजिश रची गयी है.
छापेमारी के दायरे में शामिल महत्वपूर्ण लोग और उन पर लगे आरोप
ओम प्रकाश – पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का प्राइवेट सेक्रेटरी थे. इन पर फर्जी भुगतान में शामिल लोगों के साथ करीबी संबंध रखने का आरोप है.
वैभव राय – झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी के सीनियर कंसल्टेंट थे. इन पर फर्जी क्लेम देने और अस्पतालों के इंपैनलमेंट को प्रभावित करने का आरोप है.
अभिषेक श्रीवास्तव – पूर्व एडिशनल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. इन पर नियुक्ति को आसान बनाने और अवैध लेन देन को बढ़ावा देने का आरोप है.
सेफवे टीपीए के कर्मचारी – साजिश रच कर फर्जी दावों को स्वीकार करने का आरोप.
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