Deoghar: दशकों चली कानूनी लड़ाई के बाद पुजारी गुलाब नंद ओझा बाबा मंदिर के प्रधान पुजारी तो बन गये, लेकिन वेतन के लिए उनका संघर्ष अभी जारी है. बता दें कि 13 मार्च 1970 को गुलाब नंद के पूर्वजों ने केस फाइल किया था. लंबी मुकदमेबाजी के बाद कोर्ट ने 7 दिसंबर 2016 को इनके पक्ष में फैसला सुनाया. फैसला दिया गया कि बाबा मंदिर के सरदार पंडा के वंशज गुलाब नंद ओझा को बाबा मंदिर का प्रधान पुजारी बनाया जाता है.
सैलरी को लेकर नाराजगी
इस फैसले से उन्हें और गुलाब नंद ओझा के परिवार को काफी खुशी हुई. लेकिन दूसरी तरफ उनकी नाराजगी सैलरी को लेकर है. उनका कहना है कि वर्तमान में उन्हें 30000 रुपये मासिक सरकार की तरफ से दिए जा रहे हैं. यह आज के समय के अनुसार किसी भी प्रकार से ठीक नहीं है.
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उनका कहना है कि देवघर कोर्ट सब जज वन की तरफ से 29 जनवरी 2019 को फैसला आया कि महंगाई को देखते हुए इन्हें 90000 सैलरी दी जाये. बावजूद इसके कोर्ट के आदेश की अवहेलना की जा रही है. इसे लेकर प्रधान पुजारी नाराज हैं.
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किया जा रहा सौतेला व्यवहार
उन्होंने कहा कि जब कोर्ट ने आदेश दे दिया 90000 दिया जाए तो क्यों 30 हजार दिया जा रहा है. इनके छोटे भाई ने बताया कि मंदिर के किसी भी बड़े आयोजनों में इन्हें नहीं बुलाया जाता है. जबकि मंदिर के प्रधान पुजारी होने के नाते यह इनका हक बनता है.
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मेडिकल सुविधा की मांग
कहा कि देश में जहां भी ज्योतिर्लिंग हैं वहां के पुजारी को अच्छी सैलरी और मेडिकल सुविधा दी जा रही है. लेकिन यहां नहीं है. मंदिर के प्रधान पुजारी होने के नाते सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. पहले सुरक्षा मुहैया करायी गयी थी. कुछ दिन के बाद हटा ली गयी. अभी इनका निवास स्थान मंदिर कार्यालय से सटी बिल्डिंग में है. वे वहीं रह रहे हैं.
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