NewDelhi : नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाये गये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन और हो रही महापंचायतों ने भाजपा का सिरदर्द बढ़ा दिया है. आंदोलन देश के जाट बेल्ट की ओर बढ़ता और असर छोड़ता नजर आने पर भाजपा में मंथन हो रहा है. सूत्रों के अनुसार भाजपा के बड़े नेताओं की चिंताएं बढ़ गयी है.
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पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी यूपी और राजस्थान के नेताओं के साथ बैठक
उन्हें इस आंदोलन से लगभग 40 लोकसभा सीटों पर नुकसान होने का डर सताने लगा है. बता दें कि मंगलवार को दिल्ली में इसी मसले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के नेताओं के साथ बैठक कर मगजमारी की.
सूत्रों के अनुसार अमित शाह ने पार्टी नेताओं से कहा कि वे तीन कृषि कानूनों के लाभ समझाने से जुड़े कैंपेन में तेजी लाने की जरूरत है. यह सुनिश्चित करें कि जो लोग किसानों को कथित तौर पर गुमराह कर रहे हैं, उन्हें जवाब दिलवायें. खबर है कि पार्टी नेताओं ने भाजपा नेतृत्व को जमीनी स्थिति पर अपने-अपने आकलन से रूबरू कराया और जारी आंदोलन व सरकार की ओर से हल की दिशा में प्रयास न होने पर चिंता व्यक्त की.
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लेफ्ट के प्रोफेशनल आंदोलनकारी प्रदर्शनकारियों को उकसा रहे हैं
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सीनियर नेताओं ने मीटिंग में रेखांकित किया कि जाटों में असंतोष के कारण संबंधित क्षेत्रों में लगभग 40 लोकसभा सीटों का घाटा हो सकता है. कहा गया कि पार्टी को सुनिश्चित करना चाहिए कि आंदोलन आगे न फैले. नेताओं ने कथित तौर पर कहा कि लेफ्ट के प्रोफेशनल आंदोलनकारी प्रदर्शनकारियों को उकसा रहे हैं और उन्हें कड़ा जवाब दिया जाना चाहिए.
बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष राजकुमार चाहर, सांसद सत्यपाल सिंह सहित कुछ अन्य नेता शामिल थे. जान लें कि मंगलवार को ही हरियाणा में किसानों की महापंचायत हुई, जहां BKU के राकेश टिकैत भी शामिल हुए थे.
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मोदी का आश्वासन, नये कृषि सुधारों का लाभ छोटे, सीमांत किसानों को सबसे ज्यादा
हालांकि, केंद्र और किसानों के बीच इस मसले को लेकर गतिरोध के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर आश्वासन दिया कि नये कृषि सुधारों का लाभ छोटे, सीमांत किसानों को सबसे ज्यादा होगा. यूपी के बहराइच में एक रैली में उन्होंने विपक्ष पर अपनी सरकार के नये कृषि कानूनों को लेकर दुष्प्रचार का आरोप लगाया. साथ ही दावा किया कि देश के कृषि बाजार में विदेशी कंपनियों को बुलाने के लिए कानून बनाने वाले लोग आज देसी कंपनियों के नाम पर किसानों को डरा रहे हैं.
बता दें कि कृषि कानूनों को लेकर सबसे अधिक नाराजगी पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसानों में देखी जा रही है. जान लें कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर डटे किसानों में अधिकतर इन्हीं राज्यों के हैं. कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हुई है
लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. भाजपा सूत्रों के अनुसार इन राज्यों में हो रही खाप पंचायतों के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गयी थी.