Ashish/Suresh
Latehar: यह भी एक विडंबना है कि आजादी के 75 साल बाद भी गांवों में सुगम आवागमन के लिए सड़कें नहीं हैं. हम विकास का लाख दावा कर लें, लेकिन गांवों में हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है. आज भी लोगों को सड़क व स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधायें मयस्सर नहीं हो पा रही है. अगर यूं कहें कि 21वीं सदी में भी लोग भगवान भरोसे हैं तो गलत नहीं होगा. ऐसा ही एक मामला आया है जिले के महुआडांड़ प्रखंड में दुरूप पंचायत के बसेरिया गांव में. यहां गांव तक सड़क नहीं रहने के कारण एंबुलेंस या अन्य वाहन नहीं पहुंच पाता है.
महिला उच्च रक्तचाप की मरीज थी
सोमवार को महुआडांड़ प्रखंड के दुरूप पंचायत की बेसेरिया गांव की महिला शांति कुजूर पति रिमिस मिंज (45) की तबीयत अचानक खराब हो गयी. वह उच्च रक्तचाप की रोगी थी. सुबह वह शौच के बाद उसका बीपी बढ़ गया और वह असामान्य हो गयी. परिजनों ने महुआडांड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक उसे ले जाने के लिए कई चार पहिया वाहन मालिकों से संपर्क किया, लेकिन सड़क नहीं होने के कारण सबों ने गांव तक जाने से इंकार कर दिया. इसके बाद लाचार परिजन महिला को एक चारपाई में लिटाया और डोली बना कर कंधों के सहारे अस्पताल ले जाने के निकले. वह अस्पताल तक जिंदा नहीं पहुंच पायी और रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी.
इस तरह से मौत होना चिंता का विषयः इस्तेला
जिला परिषद सदस्य इस्तेला नगेशिया ने इस घटना पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि सड़क के अभाव में एक आदिवासी महिला की इस तरह से मौत होना चिंता का विषय है. गांव में सड़क व अन्य विकास की योजनायें चलाने के लिए उपायुक्त से पत्राचार करेंगी. दुरूप पंचायत की मुखिया ऊषा खलखो ने भी इसे दुखद बताया. उन्होंने बताया कि वह अपने निधि से गांव में विकास का कार्य कराती है.
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