Nitesh Ojha
Ranchi : वित्तीय वर्ष 2022-23 का तीन तिमाही दिसंबर में खत्म हो चुका है. अंतिम यानी चौथी तिमाही जनवरी से मार्च तक चालू है. राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 की बजट तैयारी भी शुरू कर दी है. लेकिन वर्तमान वित्तीय वर्ष में योजना मद से बजट की राशि खर्च करने में राज्य सरकार काफी पीछे है. यूं कहें तो स्थिति काफी खराब है. इन तीन तिमाही में विकास योजना मद से अबतक केवल 44.19 प्रतिशत राशि ही सरकार खर्च कर पायी है. योजना मद राशि कुल 57,259 करोड़ रुपए का है. वहीं, खर्च केवल 25,305.52 करोड़ रुपए का. बता दें कि वित्तीय वर्ष 2022 – 2023 का मूल बजट 1,01,101 करोड़ रुपये का था. पुनरीक्षित बजट 1,03,845 करोड़ रुपए का. उपरोक्त आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य सरकार झारखंड में विकास योजनाओं पर खर्च करने में कंजूसी बरत रही हैं.
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एसटी-एससी और महिला बाल विकास योजना में सरकार मजबूत
31 दिसंबर तक के आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि प्रमुख विभागों में योजना राशि खर्च करने में सबसे खराब हालत कृषि विभाग की हैं. वहीं अनुसूचित जनजाति, जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग और महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा में राशि खर्च करने की स्थिति काफी बेहतर है.
अनुसूचित जनजाति, जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में कुल योजना बजट 2000 करोड़ रुपए का है. इसमें 1342.04 यानी 67.10 प्रतिशत राशि खर्च हुई.
महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा में कुल योजना बजट 5726.08 करोड़ रुपए का है. इसमें 4096.72 करोड़ रुपए यानी 71.54 प्रतिशत राशि खर्च की गयी.
कृषि विभाग की हालत काफी खराब है. कुल 3600 करोड़ रुपए का योजना बजट है. इसमें अब तक 464.78 करोड़ रुपए यानी 12.91 प्रतिशत राशि ही खर्च हुई है. इसमें कृषि में 9.42 प्रतिशत, पशुपालन में 19.45 प्रतिशत, डेयरी में 34.05 प्रतिशत, मछली पालन में 19.27 प्रतिशत, सहकारिता में 32.98 प्रतिशत खर्च राशि शामिल हैं.
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जानिए, अन्य विभागों की स्थिति
भवन निर्माण विभाग में दिसंबर 2022 तक 12.91 प्रतिशत, वाणिज्य कर विभाग में 45.69 प्रतिशत, पेयजल एवं सिंचाई विभाग में 22.90 प्रतिशत, ऊर्जा 96.22 प्रतिशत, उत्पाद एवं निषेध में 24 प्रतिशत, खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग में 30.04 प्रतिशत, वन, पर्यावरण एवं जलवायु विभाग में 38.27 प्रतिशत, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग में 34.35 प्रतिशत, उच्च तकनीकि शिक्षा और कौशल विकास में 27.70 प्रतिशत, गृह, कारा, आपदा एवं प्रबंधन विभाग में 4.49 प्रतिशत, उद्योग में 40.55, खान एवं भूतत्व में 29.60 प्रतिशत, सूचना और प्रौद्योगिक में 36.14 प्रतिशत, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में 67.55 प्रतिशत, वित्त विभाग में 5.72 प्रतिशत, सड़क निर्माण विभाग में 51.42 प्रतिशत, ग्रामीण विकास में 33.67 प्रतिशत, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में 53.73 प्रतिशत, नगर विकास एवं आवास विभाग में 23.91 प्रतिशत खर्च शामिल हैं.
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