Ranchi: मनरेगा आयुक्त रहते हुए सिद्धार्थ त्रिपाठी पर कई संगीन आरोप लगे. नियम के विरुद्ध जाकर एक आईएफएस कैडर के अधिकारी होने के बावजूद वो आईएएस कैडर की पोस्ट पर करीब छह साल तक जमे रहे. lagatar.in में खबर प्रकाशित होने के बाद आखिरकार हेमंत सरकार ने उनका तबादला किया. लेकिन गौर करने वाली बात है कि सिद्धार्थ त्रिपाठी के खिलाफ केंद्र की तरफ से छह बार जांच करने को कहा गया है, लेकिन जांच नहीं होती. आखिर उनपर लगे आरोपों की जांच क्यों नहीं होती है, यह खुद एक जांच का विषय बनकर रह गया है.
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फिर से केंद्र से जांच करने को कहा गया
रांची के एक एनजीओ ने सिद्धार्थ त्रिपाठी पर वन विभाग से जुड़े कुछ संगीन आरोप लगाये. एनजीओ ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (cvc) को जांच करने को लिखा. सीवीसी ने केंद्रीय वन मंत्रालय को संज्ञान लेने को कहा. वहां से झारखंड के वन विभाग के प्रधान सचिव को 20 मार्च 2019, 16 सितंबर 2019, 08 जनवरी 2020 और 03 जून 2020 को जांच के लिए लिखा गया. लेकिन विभाग ने सिद्धार्थ त्रिपाठी के खिलाफ जांच शुरू नहीं की. वन विभाग से कार्रवाई नहीं होती देख केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव को लिखा.
दिल्ली से 06 नवंबर 2020 को और 08 फरवरी 2021 को मुख्य सचिव को जांच के लिए लिखा गया. अभी तक मुख्य सचिव के स्तर से भी किसी कार्रवाई की सूचना नहीं है. मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी में भारत सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने साफ लिखा है कि सिद्धार्थ त्रिपाठी पर गंभीर आरोप हैं. अच्छे तरीके से जांच करायी जाये. साथ ही कार्रवाई की जानकारी मंत्रालय को दी जाये. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
अब एक बार फिर से सिद्धार्थ त्रिपाठी पर लगे सभी आरोपों की जांच के लिए केंद्रीय वन विभाग की तरफ से झारखंड के वन विभाग के प्रधान सचिव को लिखा गया है. यह मिलाकर यह सातवां मौका है जब केंद्र की तरफ से सिद्धार्थ त्रिपाठी के खिलाफ जांच करने को कहा जा रहा है. देखना दिलचस्प होगा कि इस बार भी वन विभाग की तरफ से कोई एक्शन लिया जाता है या नहीं.