Ranchi : गिरिडीह के पूर्व मेयर सुनील पासवान को एक बार फिर से झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. नगर निगम के चुनाव में निर्वाचित होने के बाद प्रमाणपत्र गलत पाये जाने के कारण निर्वाचन रद्द करने के प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने के लिए दायर याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है.
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सुनील ने प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी
पिछले दिनों हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने कहा कि यह प्रावधान नगर निगम नियमावली में किया गया है. इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित नहीं किया जा सकता. सुनील कुमार पासवान गिरिडीह नगर निगम का मेयर निर्वाचित हुए थे.
चुनाव के बाद उनपर आरोप लगा कि उन्होंने गलत प्रमाणपत्र देकर चुनाव लड़ा. आरोप प्रमाणित होने पर उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया था. याचिका में कहा गया था कि नगर निगम के एक्ट का यह प्रावधान सही नहीं है. निर्वाचित होने के बाद वैध प्रमाणपत्र नहीं होने के आधार पर किसी को अयोग्य करार देने का प्रावधान असंवैधानिक है. इस कारण इसे एक्ट से हटा देना चाहिए.
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महाधिवक्ता ने रखा सरकार का पक्ष
सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि यह नियमावली बिल्कुल सही है. यह अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्षम है. जिसके तहत एसटी, एससी, ओबीसी और महिलाओं को स्थानीय स्वशासन में 50% तक आरक्षण दिये जाने का प्रावधान है. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार की ओर से दी गयी दलीलों को स्वीकार करते हुए सुनील कुमार पासवान की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने नियमावली को असंवैधानिक घोषित करने से इंकार कर दिया और उसे सही बताया.
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