Moscow/New Delhi : भारत शानदार ढंग से जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है, लेकिन पश्चिमी मीडिया की खबरों में इसे लेकर नकारात्मक खबरें ही चल रही हैं. रूस की सरकारी ब्रॉडकास्टर रसिया टीवी (आरटी) ने यह कहते हुए पश्चिमी मीडिया को कटघरे में खडा किया है.
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गैर-पश्चिमी देशों के बारे में कुछ भी लिख देना कितना आसान है
एक लेख में आरटी ने लिखा, पश्चिमी पत्रकारों ने महज गरीबों और वंचितों पर फोकस रखा और इस पर रिपोर्ट की है कि कैसे भारतीय अधिकारियों ने जी-20 शिखर सम्मेलन से पूर्व गरीब बस्तियों को हटाने के लिए सौंदर्यीकरण अभियान चलाया. आरटी के अनुसार यह इस बात का प्रमाण है कि गैर-पश्चिमी देशों के बारे में कुछ भी लिख देना कितना आसान है. आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी कवरेज को केवल नकारात्मक खबरों तक ही सीमित रखा.
पश्चिम के अधिकतर अमीर देशों में भी लाखों गरीब लोग रहते हैं
आरटी ने अपने लेख में पश्चिमी मीडिया को आईना दिखाया है. पश्चिमी देशों की सच्चाई उजागर करते हुए आगे लिखा, पश्चिम के अधिकतर अमीर देशों में भी लाखों गरीब लोग रहते हैं. वहां एक कुलीन अमीर वर्ग है. उन देशों में आय की असमानता रिकॉर्ड ऊंचाई पर है.
पश्चिमी मीडिया ग्लोबल साउथ को अजनबियों की तरह देखता है
रूसी मीडिया के अनुसार भारत के सभी 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के 60 शहरों में जी-20 की 220 बैठकें हुई, जिसे भारत ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. लिखा कि भले ही इस आयोजन में कुछ खामियां रही हों, (अधिकांश देशों की बैठकों में खामियां होती है) लेकिन भारत के आयोजन को ह्यूमन सेंट्रिक रखा गया है, जिसमें बड़े समूहों ने हिस्सा लिया है.
इसके लिए भारत की सराहना भी हुई है. आरटी ने लिखा कि पश्चिमी मीडिया ग्लोबल साउथ, जिसका मुखिया भारत है, के देशों को परिचित अजनबियों की तरह देखता है जिसका उदाहरण जी20 की कवरेज में देखने को मिल रहा है.
मोदी ने जी20 को अपने रिब्रांडिंग के लिए इस्तेमाल किया
रूसी ब्रॉडकास्टर रसिया टीवी ने अमेरिका के प्रमुख अखबार कहे जाने वाले वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसके लिखा गया कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक कार्यक्रम जी20 को अपने रिब्रांडिंग के लिए इस्तेमाल किया. लेख कहता है कि देश भर में बिलबोर्ड पर प्रधानमंत्री का चेहरा चिपका दिया गया है. इसका संदेश सरल है.
दुनिया के शीर्ष नेताओं की मेजबानी कर भारत एक विश्व शक्ति के रूप में उभरा है. लेकिन सच्चाई यह है कि जी20 की अध्यक्षता हर सदस्य देश को मिलती है. इंडोनेशिया को पिछले साल मिली थी.
मोदी के मामले में इतनी नाराजगी क्यों दिखाई जा रही है?
आरटी ने वाशिंगटन पोस्ट के लेख की आलोचना करते हुए लिखा, विश्व भर के नेता ऐसे आयोजनों का उपयोग खुद को दूसरे देशों के नेताओं के सामने अच्छे ढंग के प्रदर्शित करने और अपने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए करते हैं भारत तो साल 2000 से ही एक अभियान चला रहा है- अतुल्य भारत. विश्व भर के नेता इस तरह के वैश्विक सम्मेलनों अथवा किसी प्राकृतिक त्रासदी के वक्त प्रकाश में आते हैं, तो फिर भारतीय नेता (मोदी) के मामले में इतनी नाराजगी क्यों दिखाई जा रही है?
अमेरिका के कैलिफोर्निया में भी लोगों के पास रहने को घर नहीं हैं
रूसी ब्रॉडकास्टर रसिया टीवी ने पश्चिमी मीडिया को आईना दिखाते हुए लिखा कि जिस तरह से भारत में अमीरी-गरीबी की समस्या है, अमेरिका के सिलिकन वैली (कैलिफोर्निया) में भी लोगों के पास रहने को घर नहीं है. लिखा कि अमेरिका के बड़े शहरों में ड्रग्स की भारी समस्या है, जिससे जुड़े वीडियो अक्सर दिख जाते हैं. साथ ही लिखा कि यूरोप के अधिकतर शहर प्रवासियों और बेरोजगारी की समस्या से ग्रसित रहे हैं.
केवल विकासशील देशों के नेताओं पर फोकस करना दोगलापन
आरटी ने लिखा है कि वर्तमान में जब पश्चिमी देशों के कामगार, डॉक्टर्स, हॉलीवुड के लेखक आदि कार्यस्थलों पर शोषण वाली स्थिति और कम वेतन को लेकर नाराज हैं, पश्चिमी मीडिया द्वारा केवल विकासशील देशों के नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर फोकस किया जाना कट्टर दोगलापन है.
झुग्गियों पर बुलडोजर चलाये जाने को लेकर बात हुई?
बता दें कि शुक्रवार शाम जो बाइडेन और पीएम मोदी की द्विपक्षीय वार्ता के बाद एक अमेरिकी पत्रकार ने प्रेस ब्रीफिंग में व्हाइट हाउस प्रवक्ता से भारत में झुग्गियों को हटाए जाने क लेकर सवाल पूछा था. पूछा था क्या बातचीत में झुग्गियों पर बुलडोजर चलाये जाने को लेकर बात हुई? क्या राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि लोकतांत्रिक सरकारें ऐसा बर्ताव नहीं करती हैं.