अंदरूनी विवाद व अनुशासनहीनता सतह पर, पार्टी में मचा है घमासान
Amit Sinha
Dhanbad : लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव में बुरी तरह पिटने वाली कांग्रेस भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में शिकस्त देने के लिए ताल ठोंक रही है, जबकि पार्टी का अंदरुनी विवाद नेताओं को आपस में ही भिड़ने को विवश कर रहा है. विवशता दोनों ओर है. भाजपा से लड़ना जरूरी है, मगर पार्टी में कोई ओहदा न मिले तो सब कुछ बेकार लगता है. नेता दुविधा में हैं, तो पार्टी गुटबाजी से उबर नहीं पा रही. हालांकि कांग्रेस के नेता कह रहे कि पार्टी में सब ठीक ठाक है, मगर ऐसा लग नहीं रहा है. लोकसभा चुनाव के लिए बूथ कमेटी बनाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है तो टिकट के लिए अभी से एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ भी मची हुई है. कुल मिला कर पार्टी ‘गाछे कटहल होठे तेल’ वाली कहावत को चरितार्थ करती दिख रही है.
शुक्रवार 6 अक्टूबर को उस समय स्थिति विचित्र हो गई, जब लोकसभा समन्वय समिति की पहली बैठक में ही प्रभारी मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस्तीफे की घोषणा कर दी. फिर तो मान-मनौव्वल का दौर भी शुरू हो गया, मगर जिले में पार्टी के अंदरूनी विवाद के साथ अनुशासनहीनता सतह पर आ गई. शायद इस बैठक में विरोध का अंदेशा प्रदेश अध्यक्ष को पहले ही लग गया था, जिससे वह बैठक में शामिल ही नहीं हुए.
लगातार हो रहा जिलाध्यक्ष का विरोध
लोकसभा चुनाव समन्वय समिति की बैठक में सबसे पहले मनोज यादव ने जिलाध्यक्ष संतोष सिंह का विरोध शुरू किया. इसके बाद मदन महतो व रविंद्र वर्मा सहित कई नेताओं ने जिलाध्यक्ष पर आरोपों की झड़ी लगा दी. मनोज ने कहा कि जिसने विधानसभा चुनाव में झरिया के कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध किया, उसे किस आधार पर जिलाध्यक्ष बना दिया गया. विधानसभा चुनाव में पार्टी विरोधी काम करने के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था. विरोध में कांग्रेसियों ने यह भी कह दिया कि जिलाध्यक्ष अंदरूनी रूप से भाजपा के लिए काम कर रहे हैं. बता दें कि इससे पहले भी जिलाध्यक्ष संतोष सिंह का विरोध कई बार हो चुका है. कतरास के शेख गुड्डू समेत कई नेताओं ने सडक से लेकर सोशल मीडिया तक जिलाध्यक्ष का विरोध किया है.
मंत्री ने क्यों की इस्तीफे की घोषणा
प्रभारी मंत्री बन्ना गुप्ता का धनबाद में लगातार कार्यक्रम हो रहा है. इससे पार्टी नेताओं को आभास होने लगा है कि बन्ना गुप्ता धनबाद से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. शुक्रवार को लोकसभा चुनाव समन्वय समिति की बैठक में नेताओं ने एक स्वर में कहा कि स्थानीय नेता को ही लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाए. इस बार हैलीकॉप्टर उम्मीदवार नही चलेगा. जिलाध्यक्ष व बाहरी उम्मीदवार का विरोध देख कर मंत्री को शायद अपनी दाल गलती हुई नहीं दिखी, तो उन्होंने इस्तीफे की घोषणा कर दी.
ददई दुबे की एंट्री से भी मचा है घमासान
सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव से पहले धनबाद में पूर्व लोकसभा सदस्य ददई दुबे की सक्रियता से भी खलबली मची हुई है. स्थानीय नेताओं के बीच आशंकाओं व संभावनाओं का मंथन जारी है. ददई दुबे के समर्थक इस बार बाबा के टिकट और जीत दोनों को सुनिश्चित समझ रहे हैं, जबकि अन्य नेता, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी का उम्मीदवार बनने की लालसा पाल रखी है, उनकी आंखों की किरकिरी बन गए हैं.