Sunil Kumar
Latehar : टाना भगतों का अहिंसक आंदोलन अब हिंसक रूप ले लिया है. हिंसक टाना भगतों को गंदरु टाना भगत से सीख लेने की जरूरत है. गंदरू टाना भगत कैमा पंचायत के मुखिया थे. उन्होंने लातेहार में टाना भगतों को एकत्रित कर अहिंसक आंदोलन व सत्याग्रह सिखाया था. 80 के दशक में यहां के टाना राजनीतिक और अन्य गतिविधियों में भाग नहीं लेते थे. गंदरू टाना भगत ने ही उन्हें अपने अधिकार एवं कर्तव्यों के लिए सजग किया था. बताते चलें कि पुराने टाना भगत ना तो बाहर में होटलों का खाना खाते हैं और ना तो पानी पीते हैं. उनके समुदाय के लोग भी बोतल बंद पानी नहीं पीते हैं. अभी भी अधिकांश टाना भगत कुआं से स्वंय पानी भरकर पीते हैं. शुद्धता ही उनकी पहचान रही है. सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर उन्होंने महात्मा गांधी को अपनी प्रेरणा स्रोत माना है. सफेद वस्त्र धारण करना, गांधी टोपी लगाना और हाथ में घंटी व तिरंगा रखना यही उनकी पहचान रही है. विगत दिनों न्यायालय परिसर में घटित घटना से लोग परेशान हैं कि आखिर अहिंसा व सत्य की राह पर चलने वाले हिंसक व उग्र कैसे हो गये.
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