Ghatshila (Rajesh Chowbey) : राजघराने के समय से चली आ रही बिंदा मेला की परंपरा कोरोना के कारण 3 वर्ष के बाद 6 अक्टूबर से रंकणी मंदिर में पूजा अर्चना के बाद शुरू किया जाएगा. इस संबंध में मंगलवार को जानकारी देते हुए रंकणी मंदिर के मुख्य पुजारी जगन्नाथ पांडा एवं रंकिनी पांडा ने बताया कि कोरोना कल के कारण वर्ष 2020 से पूजा बंद था. मां रंकणी के आशीर्वाद से इस वर्ष काड़ा काटा का आयोजन किया जाएगा. जिसकी तैयारी अंतिम चरण में है. 6 अक्टूबर शुक्रवार की देर रात 9 बजे मां की पूजा अर्चना के बाद काड़ा काटा का आयोजन किया जाएगा तथा 7 अक्टूबर की शाम 5 बजे पूजा अर्चना होगी. उन्होंने बताया कि लगभग 200 वर्ष पूर्व से यह परंपरा चली आ रही है उन्होंने बताया कि 7 अक्टूबर को विशेष भंडारे का आयोजन किया गया है. इस पूजा आयोजन में मुख्य रूप से दो गांव के लोग सम्मिलित होते हैं जिसमें बगुला तथा पावड़ा गांव शामिल है. ऐसी मान्यता है कि राजा के समय आश्विन मास के सप्तमी और अष्टमी में पूजा के दौरान दोनों दिन अलग-अलग भैंस को तीर से वार (बिंधा) कर मां को प्रसाद स्वरुप चढ़ाया जाता है. इसी परंपरा को आज भी यहां के लोग बरकरार रखे हुए हैं इसके बाद बिंधा के नाम से मेला लगता है.
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