Girish Malviya
Zomato जैसी गिग इकनॉमी की कंपनियों को मीडिया हमेशा पॉजिटीव कवरेज देता है. लेकिन उनके द्वारा वर्कर्स के शोषण की खबरें आती हैं, उसे दबा दिया जाता है. जोमैटो, स्वीगी जैसी कंपनियों में Delivery Boy का जिस तरह से शोषण होता है. उसके बारे में तो हम आपको बताते आए हैं. लेकिन यह भी जान लीजिए कि इसमें डिलीवरी बॉयज से भी अधिक शोषण रेस्टोरेंट ऑनर का होता है.
देश के एक बड़े संगठन नेशनल रेस्टूरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया NRAI ने एक बयान में कहा कि जोमैटो तथा स्वीगी की गैर-प्रतिस्पर्धी गतिविधियों से उनका रेस्तरां व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. NRAI ने आरोप लगाया है कि स्वीगी और जोमैटो ने अपने ग्राहकों के डेटा को “मास्किंग” करके और अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के उपयोग के लिए “अत्यधिक कमीशन” चार्ज करके प्रतिस्पर्धा मानदंडों का उल्लंघन किया है. यानी उनका कहना है कि स्वीगी और जोमैटो इंपोर्टेंट कस्टमर की जानकारी को हमारे साथ साझा नहीं करते हैं. इसके बजाय वह इस डेटा की सहायता से अपने स्वयं के क्लाउड किचन को तैयार करते हैं. और धीरे-धीरे उस रेस्टोरेंट का व्यवसाय अपने क्लाउड किचन में शिफ्ट कर लेते हैं. रेस्टोरेंट व्यवसाय को हतोत्साहित करने के लिए वह अत्यधिक कमीशन वसूलते हैं.
NRAI ने यह भी आरोप लगाया है कि रेस्टोरेंट ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर “उपयुक्त” सूची बनाए रखने के लिए भारी छूट देने के लिए मजबूर हैं. जिससे उनके लाभ में कमी आई है. स्वीगी और ज़ोमैटो द्वारा लगाए गए “कठिन शर्तों” के कारण कई रेस्टोरेंट को महामारी के दौरान अपने व्यवसायों को बंद करना पड़ा है.
NRAI ने यह भी कहा कि स्थानीय प्रशासन ने महामारी के दौरान रेस्टोरेंट इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान पहुंचाया. क्योंकि उन्होंने डाइन-इन सेवाओं पर रोक लगा दी और जोमैटो ओर स्वीगी आदि से उन्हें होम डिलीवरी को मजबूर किया गया. इस प्रकार का शोषण गिग इकॉनमी की अनूठी विशेषता है. फैक्ट्री लगाकर मजदूर का शोषण करके कोई पूंजीपति इतने मुनाफे की कल्पना भी नहीं कर सकता, जितना मुनाफा गिग कम्पनियां एक मोबाइल ऐप बनाकर कमा लेती हैं.
कहा जाता है कि साम्राज्यवादी देश अब किसी देश में सेना के साथ जाकर वहां के अर्थतंत्र पर कब्जा नहीं करते. बल्कि पूंजी और तकनीकी के दम पर वे किसी भी देश के सबसे ज्यादा पढ़े–लिखे मजदूर से अपनी कंपनी के लिए काम करवाते हैं और अकूत मुनाफा कमाते हैं. गिग अर्थव्यवस्था, गिग मजदूर के शोषण करने की एक नयी व्यवस्था है. अब जोमैटो अपना IPO 14 जुलाई को लाने जा रहा है. इस आईपीओ के पूरा होने के बाद Zomato का वैल्यूएशन 64,365 करोड़ रुपये हो जाएगा, जो कि इस सेगमेंट की दूसरी लिस्टेड कंपनियों की तुलना में कहीं ज्यादा है. जूबिलेंट फूडवर्क्स का कैपिटेलाइजेशन करीब 41 हजार करोड़ रुपए है, जबकि बर्गर किंग इंडिया का 6,627 करोड़ रुपये है. जोमैटो को बीते तीन वर्षों से 2304 करोड़, 816 करोड़ और 577 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. लेकिन उसके बावजूद भी उसे अपना शेयर 72- 74 रु जैसी अविश्वसनीय कीमत पर बिकने की उम्मीद है.
अगर ऐसा होता है तो गिग कंपनियों का पैर हमेशा के लिए भारत में जम जाएगा.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.