सांसद निशिकांत अडानी पावर प्लांट का दे रहे साथ, विधायक प्रदीप यादव कर रहे विरोध
Jitendra Kumar Dubey / Godda : एक तो निवेशक झारखंड आने से कतराते हैं, दूसरे जो भूले-भटके यहां अपना उद्योग स्थापित कर देते हैं, वे यहां की राजनीति में पिस कर रह जाते हैं. ऐसा ही खेल गोड्डा में अडानी ग्रुप के साथ हो रहा है. मालूम हो कि अडानी पावर प्लांट गोड्डा जिले में स्थापित निजी क्षेत्र का पहला बड़ा उपक्रम है. सांसद निशिकांत दुबे की पहल पर जिला मुख्यालय से सटे ग्राम मोतिया में पावर प्लांट स्थापित करने के लिए करीब छह वर्ष पूर्व जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरुआत की गई थी. लेकिन निशिकांत को धुर विरोधी माने जाने वाले प्रदीप यादव यहां पावर प्लांट लगने के पक्ष में नहीं थे. और यहीं से अडानी कम्पनी की परेशानी भी शुरु हो गई.
विधायक प्रदीप यादव ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ खोला था मोरचा
यहां अडानी को जमीन ना मिले इसके लिए क्षेत्र के विधायक प्रदीप यादव ने मोर्चा खोल दिया था. प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ उनके नेतृत्व ने उग्र आंदोलन हुआ था. यहां के आधा से अधिक रैयत खुशी से पावर प्लांट को जमीन देने को तैयार थे, जबकि कुछ रैयत जमीन नहीं देना चाहते थे. विधायक ने असंतुष्ट रैयतों को साथ लेकर अडानी कंपनी के खिलाफ आंदोलन शुरु कर दिया. धरना-प्रदर्शन का लंबा दौर चला और कई बार लाठी-गोलियां चलीं. इस प्लांट विरोधी आंदोलन में विधायक पर आधा दर्जन से अधिक केस दर्ज किए गए और उन्हें लंबे समय तक जेल में भी रहना पड़ा. बावजूद तत्कालीन रघुवर दास की सरकार ने अडानी ग्रुप को सहयोग दिया और जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर कंपनी का स्थापना हो गई. पावर प्लांट चालू हो गया और यहां से उत्पादित बिजली बांग्लादेश को सप्लाई होने लगी. मगर सांसद डॉ दुबे और विधायक प्रदीप यादव के बीच की राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई अभी थमने का नाम नहीं ले रही है.
प्लांट लग गया तो पर्यावरण को बनाया बहाना
अभी ताजा विवाद अडानी पावर के लिए बंगाल से आ रहे कोयले को लेकर शुरू हो गया है. दो दिन पहले की बात है, देर रात बंगाल से कोयला लेकर आ रहे कई ट्रकों को विधायक ने कागजात जांच के नाम पर रुकवा दिया और डीसी-एसपी को पत्र लिखकर कोयले की जांच करने को कहा. विधायक श्री यादव का कहना था कि कंपनी के साथ हुए करार के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया से उच्च क्वालिटी का कोयला मंगाकर उसका उपयोग किया जाना है, जो कम कार्बन उत्सर्जन करता है. विधायक प्रदीप यादव के मुताबिक विदेशी कोयला पर्यावरण को कम नुकसान करता है, जबकि इसके आड़ में अडानी कंपनी बंगाल के लोकल कोयले का उपयोग कर रही है. जो ज्यादा मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन करेगी और उससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ने का खतरा है. यह सरकार के साथ हुए करार का उल्लंघन है.
विधायक कर रहे हैं प्लांट बंद कराने की मांग
इसी प्रकार का आरोप लगाते हुए विधायक ने अडानी पावर के लाइसेंस को रद्द करने का अनुरोध राज्य सरकार से किया है. हांलाकि प्रशासन ने कागजातों की जांच के बाद कोयला लदी सभी गाड़ियों को छोड़ दिया गया है. लेकिन राजनीतिक विरोधी दो ध्रुवों की लड़ाई में कंपनी को मोहरा बनाया जाना जारी है। उल्लेखनी है कि कंपनी के यहां आने के बाद निश्चित तौर पर रोजगार के अवसर बढ़े हैं साथ ही सीएसआर के तहत कंपनी क्षेत्र में विकास कार्यों को भी कर रही है. बावजूद अडानी कंपनी दो राजनेताओं के बर्चस्व की लड़ाई में पिस रही है.
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