GODDA : राज्य सरकार की ओर से दिव्यांगजनों के लिए दिव्यांग पेंशन की व्यवस्था की गयी है, जिसे दिव्यांगों को अपने परिवार और अपना भरण पोषण करने में सुविधा मिलती है. लेकिन गोड्डा के कई दिव्यांग आज भी इस योजना से वंचित है. योजना से वंचित रहने का सबसे मुख्य कारण विभाग की लापरवाही ही है. विभाग की लापरवाही की वजह से दिव्यांगों के लिए सरकार की मदद दूर की कोड़ी साबित हो रही है.
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पत्नी मजदूरी कर चला रही घर
जिले के बसंतराय प्रखंड के महेशपुर गांव के रहने वाले हैं दिव्यांग 35 वर्ष दिलीप कुमार मंडल जिनका एक हांथ और एक पैर विकलांग है. जिसकी वजह से वो आम लोगों की तरह मेहनत करने में सक्षम नहीं है. उनके परिवार के लोगों की आर्थिक स्थिती भी खराब हो गयी है. दिव्यांग दिलीप कुमार मंडल के दो छोटे-छोटे बच्चे है, जिन्हें आधारभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है. दिलीप की पत्नी मजदूरी कर घर चलाती है. लेकिन मजदूरी से इतना पैसा नहीं मिल पाता की वो अपने बच्चों की परवरिश अच्छी तरह से कर पाये.
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आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला
दिव्यांग दिलीप मंडल बताते है कि 90 प्रतिशत विकलांग प्रमाण पत्र होने के बावजूद उन्हे आज तक इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. वो इस योजना के तहत मिलने वाले पेंशन के लिए कई बार प्रखंड कार्यालय के चक्कर भी लगा चुके है. दिलीप कई बार गांव के मुखिया से लेकर वहां के विधायक तक से गुहार लगा चुके है. लेकिन मुखिया और विधायक के द्वारा आश्वासन के अलावा कुछ मदद नहीं मिल पाया है.
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गरीबों का कोई नहीं सुनता- दिलीप
दिलीप मंडल कहते है कि गरीबों का कोई नहीं सुनता.सरकार की ओर से हमें सिर्फ राशन दिया जा रहा है. राशन में मिले चावल से परिवार चलाना काफी मुश्किल है. चावल के अलावा भी कई जरूरी सामान है परिवार चलाने के लिए. मेरे हाथ और पैर विकलांग होने के कारण मै कोई काम नहीं कर सकता हूं. मेरी पत्नी मजदूरी कर किसी तरह से घर चला रही है. दिलीप ने बताया कि पेंशन के लिए वो कई बार बिचौलियों को पैसा भी दे चुके है लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ है. दिलीप कहते है कि अगर उन्हे पेंशन मिलता है तो उनके परिवार को काफी मदद मिल जायेगी और उनकी आर्थिक स्थिति भी थोड़ी ठीक हो जायेगी.
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