Ranchi : हरमू की रहने वाली राधा देवी सोमवार को काफी परेशान और गुस्से में समाहरणालय स्थित जिला आपूर्ति विभाग पहुंची. अपनी परेशानी साझा करते हुए उन्होंने बताया कि उनके परिवार में चार सदस्य हैं. राशन कार्ड के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं. मैं और मेरे पति रोजी-रोटी के लिए छोटा-मोटा काम करते हैं. कई जगहों पर राशन कार्ड बनवाने के लिए लोग 1000- 2000 रुपये मांगते हैं. इतने पैसे हम नहीं दे सकते. परेशानी लेकर जब जिला आपूर्ति विभाग आयी, तो कर्मियों ने कहा कि लाल कार्ड बनना बंद है. ग्रीन कार्ड बनवाया जा रहा है. लाल कार्ड में जैसे-जैसे वैकेंसी होगी, ग्रीन कार्डधारियों को उधर शिफ्ट किया जायेगा.
ग्रीन राशन कार्ड पर मात्र 5 किलो चावल मिल रहा है
राधा देवी ने बताया कि 30 रुपये खर्च कर ग्रीन कार्ड तो बन गया. पर इससे कोई फायदा नहीं मिल रहा. यह मात्र कागज का टुकड़ा है. डीलर कहता है कि ये कौन सा कार्ड लेकर आये हैं. राशन में मात्र 5 किलो चावल मिल रहा है. चावल की क्वालिटी क्या होती है, सबको पता ही है. कम से कम गेहूं मिलता तो अच्छी रोटी तो होती. पर इस कार्ड से कोई भी फायदा नहीं मिल रहा. जब पूछने आयी कि लाल कार्ड कब बनेगा, तो कर्मियों ने जनवरी- फरवरी में आने को कहा. उन्होंने कहा कि बार-बार भाड़ा लगाकर आने में काफी परेशानी होती है. छोटा-मोटा काम करते हैं. बार-बार दौड़ लगाने के चक्कर में नुकसान हो रहा है और पैसा भी बर्बाद हो रहा है.
राज्य सरकार ने शुरू किया था ग्रीन राशन कार्ड
बता दें कि राज्य में तीन तरह के कार्डधारी हैं. इसमें गुलाबी, पीला और ग्रीन कार्ड शामिल हैं. गुलाबी कार्ड में प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज दिया जाता है. इसके साथ ही इसमें सोना-सोबरन धोती-साड़ी योजना, आयुष्मान कार्ड आदि के फायदे भी हैं. पीला कार्ड अत्यंत गरीब परिवार के लिए होता है. इसमें 35 किलो अनाज दिया जाता है. साथ ही इसमें अन्य कई तरह के फादये दिये जाते हैं. वहीं इन कार्ड में वैकेंसी कम होने के कारण झारखंड सरकार ने ग्रीन कार्ड योजना शुरू की, जिसमें हर कार्ड में पांच किलो राशन दिया जाता है.
इसे भी पढ़ें – ममता बनर्जी के दावे को गृह मंत्रालय ने खारिज किया, बताया गलत