सरकारी काउंटर रहता है खाली, दवा दोस्त में लगी रहती है कतार
सदर अस्पताल में दिग्भ्रमित रहते हैं मरीजों के परिजन
Pramod Upadhyay
Hazaribagh : हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल कैंपस में एक ही कैंपस में दो-दो काउंटर पर दवाइयां दी जा रही हैं. एक सरकारी काउंटर जहां मरीजों के लिए मुफ्त दवाइयां मिलती हैं. वहीं बगल में ही दवा दोस्त नामक काउंटर है, जहां दो से 85% तक छूट पर दवाइयां दी जाती है. तकलीफदेह बात यह है कि सरकारी काउंटर में दवा नहीं के बराबर रहती है. ऐसे में मरीज और उनके परिजन दिग्भ्रमित रहते हैं कि कौन-से काउंटर पर जाएं. जब सरकारी काउंटर पर दवाएं नहीं मिलती हैं, तो दवा दोस्त के काउंटर पर ही लोग लाइन में लगना पसंद करते हैं. स्थिति यह रहती है कि एक दवा लेने में मरीज के परिजनों को चार से पांच घंटे प्रतीक्षा करनी पड़ती है. उसके बाद भी खिड़की तक पहुंचने के बाद कह दिया जाता है कि संबंधित दवाइयां नहीं हैं. ऐसे में मरीज के परिजनों का घंटों वक्त जाया होता है और काम भी पूरा नहीं हो पाता है. इधर दुकानदार भी सरकारी दुकान का हवाला देकर मरीज के परिजनों को दवाइयों में छूट देने की बात करते हैं. लेकिन हकीकत में दवा दोस्त की दुकान का सरकार से कोई लेना-देना नहीं है. अस्पताल से इस दुकान को टायअप किया गया है. कम मूल्य वाली दवा पर दो और अधिक एमआरपी की दवाओं पर 85% की छूट दी जाती है. जबकि सभी दवाओं में 85% की छूट देनी चाहिए.
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तीन घंटे लाइन में लगा, तो मिली एक दवा : गणेश कुमार
ऑपरेशन हुई पत्नी मुनिया देवी की दवा लेने के लिए आ चुरचू के गणेश कुमार ने बताया कि दवा दोस्त के काउंटर पर मंगलवार को पूर्वाह्न 11 बजे लाइन लगा. दो घंटे के बाद पुर्जा मिला. फिर कहा गया कि माइक पर उनका नाम अलाउंस कर दिया जाएगा. अपराह्न ढाई बजे नाम पुकारा गया. दवा लेने गए तो चार की जगह एक दवा मिली. दवा में 85% की पूरी छूट भी नहीं दी गई. एक तो वक्त बर्बाद हुआ, पैसा भी नहीं बचा और देर होने से पत्नी की तबीयत भी बिगड़ गई.
भीड़ को देखते हुए दूसरा काउंटर भी बने : तुलसी वर्मा
दवा दोस्त की दुकान में दवा लेने आए इचाक स्थित भराजो निवासी तुलसी वर्मा ने कहा कि भीड़ को देखते हुए दूसरा काउंटर भी बनना चाहिए. दवा लेते-लेते मरीज की जान चली जाएगी, फिर भी दवा लेने का नंबर नहीं आएगा. ऐसे में यह दुकान दवा दोस्त कम दुश्मन जैसा लगता है. कम मूल्य वाली दवाओं में छूट का गोरखधंधा भी चलता है.
नहीं लौटाए जाते हैं खुदरा पैसे : पिंकी देवी
दवा दोस्त की दुकान से दवा लेने आयीं कदमा की पिंकी देवी ने बताया कि काउंटर से पांच-दस रुपए के खुदरा पैसे नहीं लौटाए जाते हैं. ऐसे में दवा दोस्त के दुकानदार हजारों रुपए रोजाना कमाते हैं. दवाओं के मूल्य रसीद में कुछ लिख होते हैं और पैसे कुछ लिए जाते हैं. विरोध करने पर दुकानदार विवाद करने लगता है. यहां मरीजों की दवा लेने आते हैं. उतना वक्त नहीं है कि फसाद खड़ा करते रहें.
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दवाओं में दो से 85% तक देते हैं छूट : राजेंद्र प्रसाद
इस संबंध में दवा मित्र के संचालक राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह सरकार के आदेशानुसार दुकान खुली है. सरकारी सुविधा के तहत दवाओं में दो से 85% तक की छूट देते हैं. हर दवाई हर दुकान में उपलब्ध नहीं होती है. आरोप निराधार है. यहां जगह कम रहने की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है.
अगर प्रधानमंत्री औषधि केंद्र खुला, दवा दोस्त को करना पड़ेगा खाली : सुपरिंटेंडेंट
इस संबंध में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट डॉ विनोद कुमार ने बताया कि दवा दोस्त के बगल में सरकारी दवाखाना भी है. जहां फ्री में दवा मिलती है. दवा दोस्त की जानकारी उन्हें नहीं है. प्रधानमंत्री औषधि केंद्र खुलेगा, तो उस जगह को खाली करना पड़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि अगर दवा खरीदने वाले लिखित शिकायत करेंगे, तो दवा दोस्त के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.
दवा दोस्त प्राइवेट है, नो प्रॉफिट, नो लॉस में काम करने की कही है बात : ड्रग इंस्पेक्टर
ड्रग इंस्पेक्टर प्रतिभा झा ने कहा कि दवा दोस्त प्राइवेट है और अस्पताल से टैग किया गया है. संचालक ने नो प्रॉफिट, नो लॉस में काम करने की बात कही है. इसलिए उसे वहां जगह दी गई है. शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने विभाग से इसके बारे में पत्राचार भी किया गया है.