Lagatar Desk Ranchi: प्रभारी मापतौल निरीक्षण केसी चौधरी ने सात लाख रुपया लेकर टैंकलॉरी कैलीब्रेशन का काम मुझसे छीन कर दूसरे को दे दिया. यही नहीं, जब मैंने कंट्रोलर से मिलकर विरोध किया, तो उन्होंने कहा कि तुमको नये कैलीब्रेटर के साथ लगा देते हैं. उसका काम देख लेना. अच्छी सैलरी मिल जायेगी. यह कहना है अशोक गुप्ता का. 66 वर्षीय गुप्ता के पास दो जगह कैलीब्रेशन यूनिट थी, बोकारो और देवघर में. बकौल गुप्ता, सात लाख रुपये के लालच में प्रभारी कंट्रोलर ने साजिश करके उनका काम छीन कर धर्मजीत को दे दिया. लगातार से बातचीत में गुप्ता ने कहा कि काम छीनने के बाद दोबारा बहाल कहने के लिए मुझसे सात लाख रुपये मांगे गये. मेरे पास पैसे नहीं थे. मैंने किसी तरह जुगाड़ कर 80 हजार रुपये दिये. काम नहीं मिला. 80 हजार रुपया भी चला गया.
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प्रति गाड़ी 2000 रुपया कंट्रोलर को जाता है
गुप्ता कहते हैं कि मेरे समय में प्रति गाड़ी 200 रुपया कंट्रोलर को जाता था. आज 2000 रुपया गाड़ी जाता है. 2016 के नवंबर में कैलीब्रेशन का काम ऑनलाइन हो गया था. लेकिन उस समय इसे लागू नहीं किया गया. ऐसा इसलिए क्योंकि ऑनलाइन होने से हर कोई इसे देख सकता था. बाद में सरकार के दबाव पर इसे 2019 में लागू किया गया. गुप्ता पूछते हैं कि 2016 में ऑनलाइन नहीं करने का क्या कारण रहा.
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गाड़ी नापी का रेट 2000 रुपया बढ़ गया
मास्टर कैलीब्रेटर के संचालक अशोक गुप्ता बताते हैं कि वह 12000 लीटर की एक गाड़ी की नापी का 4 हजार रुपया लेते थे. 18 हजार और 20 हजार लीटर की गाड़ी की नापी का रेट 6 हजार रुपया था. अभी जो कर रहा है वह 12000 लीटर की एक गाड़ी के लिए 6 हजार रुपया ले रहा है. वहीं 18 हजार लीटर की गाड़ी के लिए 8 हजार रुपया ले रहा है. रेट बढ़ाने के बारे में ट्रांस्पोर्टरों द्वारा पूछे जाने पर कैलीब्रेटर की तरफ से कहा जाता है कि बड़ा साहब को देना पड़ता है. जबकि इतना रेट होना ही नहीं चाहिए. गुप्ता ने बताया कि जब मैं कंट्रोलर के आगे रोया-गिड़गिड़ाया, तो मुझे कहा गया कि दो में से एक जगह मुझे काम दे दिया जायेगा, लेकिन एक भी नहीं दिया गया. ईमानदारी से काम करने पर साल भर में मुश्किल से एक जगह 60 हजार रुपये की बचत होती है. मैं कहां से सात लाख रुपया लाकर दूं. चोरी का काम मुझसे नहीं होता.
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काम छीनकर दूसरे का नौकर बनाने का ऑफर दिया
66 साल के बुजुर्ग गुप्ता बोलते-बोलते रो पड़ते हैं. कहते हैं, कंट्रोलर ने मुझे कहा कि तुमको कैलीब्रेटर के साथ लगा देते हैं. उसका काम देखो. मंथली अच्छा अमाउंट मिल जायेगा. गुप्ता कहते हैं कि मेरा अच्छा बिजनेस था. इंडियन ऑयल का ठेकेदार था और आज इस उमर में ये मेरा काम छीनकर नौकरी करने की सलाह दे रहे हैं. मैं पैसों से लाचार हूं. कोर्ट कचहरी कर नहीं सकता. ऊपरवाले पर भरोसा है कि वही इंसाफ करेगा.
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