Hazaribagh: पं. दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पर आधारित जिन पुस्तकों को सरकारी स्कूलों में जाना था, वह हजारीबाग के खेल विभाग के दफ्तर में धूल फांक रहा है. दूर-दूर तक बच्चों को पं. दीनदयाल उपाध्याय की ऐसी पुस्तकों का भान तक नहीं है. पं. दीनदयाल की जीवनी से संबंधित ऐसी हजारों पुस्तकें पिछले दो साल से शोभा की वस्तु बनाकर रख दी गई है. इसे स्कूलों तक पहुंचाया ही नहीं गया है.
खुले तौर पर तो विभाग के लोग कुछ बोलना नहीं चाहते हैं. लेकिन दबी जुबां से चर्चा जरूरत करते हैं कि केंद्र सरकार की यह योजना सियासी भंवर में उलझकर रह गई है. दरअसल पं. दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी बच्चों को इसलिए पढ़ानी है कि उनमें चरित्र का निर्माण हो सके. उनके गुणों को बच्चे आत्मसात कर पाएं. इसी उद्देश्य से केंद्र ने इन पुस्तकों को सरकारी स्कूलों के बच्चों तक पहुंचाने की ठानी. हालांकि झारखंड में फिलहाल यह योजना खटाई में है. चूंकि सभी पुस्तकें खेल विभाग के कार्यालय में डंप पड़े हैं. जानकारों की राय में इस योजना में सियासत के कीटाणुओं का प्रवेश हो गया.
चर्चा यह है कि झारखंड में जैसे ही इन पुस्तकों को स्कूलों तक भेजने की योजना बनी, तब तक संयोग से यहां भाजपा नीत एनडीए की सरकार गिर गई. दूसरी विचारधारा वाली पार्टी का शासन आ गया. ऐसे में पं. दीनदयाल उपाध्याय की पुस्तकों को बच्चों तक पहुंचाने की योजना ठंडे बस्ते में चली गई. बताया जा रहा है कि एक बंडल में 15 वॉल्यूम पुस्तकें हैं. ऐसे-ऐसे सैकड़ों बंडल यहां डंप पड़े हैं. ऐसी बात नहीं कि यह सिर्फ हजारीबाग की कहानी है. राज्य के अन्य कई जिलों में भी पं. दीनदयाल उपाध्याय की जीवन पर आधारित पुस्तकों का वही हाल है. एक दूसरा तथ्य यह भी है कि इन पुस्तकों के प्रकाशन का उद्देश्य अगर पूरा नहीं हो, तो इसकी छपाई में होनेवाले खर्च भी जाया हो रहे हैं. बहरहाल मामला चाहे जो हो, अब देखना यह है कि इन पुस्तकों को बच्चों तक पहुंचाने के लिए राज्य या केंद्र सरकार की ओर से कोई आदेश कब तक जारी होता है.
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क्या कहते हैं भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य
इस संबंध में भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अनिल मिश्रा ने कहा कि यह झारखंड सरकार की घोर लापरवाही है. पं. दीनदयाल उपाध्याय समाज के उत्थान के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे. वे समाज के अंतिम व्यक्ति का उत्थान चाहते थे. ऐसे प्रखर समाजसेवी और विचारक की भावनाओं व संदेश से देश के भविष्य कहे जानेवाले नौनिहालों को वंचित रखा जाना घोर अपराध है. इस मामले को वह जिला से राज्य मुख्यालय तक उठाएंगे और पार्टी स्तर पर जिलाध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक बात करेंगे. उनकी कोशिश होगी कि पं. दीनदयाल उपाध्याय की जीवन पर आधारित पुस्तकें नौनिहालों तक जल्द से जल्द पहुंचे.
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