Hazaribagh: जिले के झारखंड परेज, तापिन नॉर्थ, तापिन साउथ परियोजना से कोयला तस्कर स्थानीय लोगों के सहारे कोयला की चोरी करा रहे हैं. कोयले को इकट्ठा कर ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और साइकिल के दर्जनों चिमनी भट्ठे, प्लांट और ट्रक में लोदकर मंडी में भेजा जा रहा है. इस काम में दर्जनों ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, साइकिल से कोयले की प्रतिदिन तस्करी की जाती है. इतना ही नहीं चरही रेलवे साइडिंग से भी कोयले की तस्करी की जा रही है. हाइवा से रेलवे साइडिंग पर कोयला भेजा जाता है. साइडिंग पर उपस्थित सीसीएल के कर्मी की मिलीभगत से हाइवा मालिक सिर्फ अपने हाइवा के कागजात की रिसीविंग कराते हैं और उक्त हाइवा पर लोड कोयले को साइडिंग पर ना गिराकर उसे डेमोटांड़ के विभिन्न फैक्ट्रियों में खपाते हैं. जिससे हाइवा संचालक को रेलवे साइडिंग पर भी कोयला खाली करने का भाड़ा और फैक्ट्री में कोयला बेचने से दोहरा मुनाफा हो रहा है.
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चुरचू, चरही का इलाका है कोयला तस्करी के लिए बदनाम
हजारीबाग के चुरचू और चरही से अवैध कोयले का उत्खनन, सीसीएल की खदानों और रेलवे साइडिंग से कोयले की चोरी और तस्करी बड़े पैमाने पर की जाती है. सामान्यतः इसकी शुरुआत इन ईंट भट्ठों में कोयले की सप्लाई से ही होती है. उसके बाद अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा, तो फिर कोयला किसी सुनसान जगह डंप किया जाता है, जहां से जाली कागज बना कर इसे ट्रक के माध्यम से बिहार और यूपी भेजा जाता है.
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