Gaurav Prakash
Hazaribagh: झारखंड में जंगली हाथियों के उत्पात की खबर इन दिनों सुर्खियों में है. ताजा मामला हजारीबाग का है. पिछले एक सप्ताह से जंगली हाथियों का आतंक हजारीबाग और इसके आसपास के इलाकों में देखने को मिल रहा है. आलम यह है कि 30 से अधिक हाथी हजारीबाग के बड़कागांव, केरेडारी और अब टाटीझरिया इलाके में विचरण करते देखे जा रहे हैं. इस कारण पूरे इलाके में दहशत का माहौल है.
हाथी अब दिन में भी भीड़भाड़ वाले इलाके में आ रहे हैं. पिछले दिनों टाटीझरिया क्षेत्र में मकई के खेत में 30 की संख्या में हाथी दिन में घुस गए. पूरे खेत को बर्बाद कर दिया. सिर्फ बड़कागांव में हाथियों ने एक दर्जन से अधिक घरों को नष्ट कर दिया. टाटीझरिया में भी आधा दर्जन से अधिक घर को हाथियों ने नुकसान पहुंचाया. इसी तरह पिछले दिनों बड़कागांव प्रखंड में जंगली हाथियों ने दस्तक दिया था. इस झुंड में लगभग 15 की संख्या में छोटे-बड़े हाथी थे. हाथियों का झुंड चेपाकला पंचायत से कन्वेयर बेल्ट पार करते हुए चंदौल पंचायत के कई गांव और टोलों में घूमते रहे. इस दौरान झुंड ने ग्रामीणों की संपत्तियों के साथ फसलों को नुकसान पहुंचाया. ग्रामीणों ने बताया कि चंदौल पंचायत के महुगाई कला गांव के कई किसानों के फसल और परिसंपत्तियों को नुकसान हुआ है. कृष्णा साव के घर की बाउंड्री क्षतिग्रस्त कर दी और फसलों को भी नुकसान पहुंचाया.
15 हाथियों के झुंड में दो बच्चे भी शामिल
बताया जाता है कि हाथियों ने चुरामन गोप, कजरू साव, दहन साव, विक्रम साव, केदार साव, जीवलाल साव और श्यामलाल गोप सहित कई किसानों के धान के बिचड़े को नुकसान पहुंचाया. ग्रामीणों ने कहा कि 15 हाथियों का झुंड है. इसमें 13 बड़े हाथी और दो बच्चे भी शामिल हैं. सभी हाथी फसल को नष्ट करने के बाद चंदौल के जंगल में चले गये. बड़कागांव से हाथी टाटीझरिया इलाके में पहुंच गए हैं. बीती रात भी हाथियों के टाटीझरिया के कई गांवों में आने की सूचना मिलती रही. टाटीझरिया प्रखंड कार्यालय से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर क्रशर में काम करने वाले मजदूरों का बनाया हुआ खाना भी हाथी खा गए. इसमें चावल, दाल और सब्जी था. यही नहीं झुंड ने पूरे घर को ही बर्बाद कर दिया.
प्रशासन से ग्रामीणों की सुरक्षा की गुहार
ग्रामीणों का कहना है कि डूमर चंद्र महतो और हेमलाल महतो के घर में भी हाथियों का आतंक देखने को मिला. उनके घर का सारा राशन हाथी खा गए. साथ ही घर भी बर्बाद कर दिया. यही नहीं पास में लगे खेत को भी रौंद दिया. हाथियों ने सब्जियों को बर्बाद कर दिया. इसमें कद्दू-टमाटर लगे थे. वहीं हाथियों के उत्पात को देखते हुए हजारीबाग के कई समाजसेवियों ने प्रशासन से ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर गुहार लगाई है. भाजपा नेता सह समाजसेवी बटेश्वर मेहता ने प्रशासन और वन विभाग से मांग की है कि हाथियों के आतंक के कारण फसल एवं संपत्ति का नुकसान हुआ है. ऐसे में पीड़ितों की मदद की जाए.
हर दिन हाथी को तीन क्विंटल भोजन की जरूरत
पर्यावरण और जंगली जानवर के व्यवहार परिवर्तन पर शोध करने वाली नियो ह्यूमन फाउंडेशन के उपाध्यक्ष मुरारी सिंह बताते हैं कि हाथी को हर दिन लगभग तीन क्विंटल भोजन की आवश्यकता होती है. खाद्य की उपलब्धता नहीं होने के कारण वह गांव की ओर आ जाते हैं. लेकिन अब हाथियों के व्यवहार में परिवर्तन आया है. हाथियों को सुगमता से अनाज की उपलब्धता हो, इस कारण वे गांव ओर आ जा रहे हैं. उनका यह भी कहना है जंगल में भी हाथियों का भोजन प्रचुर मात्रा में है. लेकिन हाथियों के व्यवहार परिवर्तन के कारण वे गांव की ओर रुख कर रहे हैं.
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