गैंगस्टर विकास तिवारी के मामले में दो तरह के पत्राचार कर फंसे
सीआईडी ने अपर मुख्य सचिव से की अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा
Hazaribagh : अपने ही पत्र में हजारीबाग जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा के अधीक्षक कुमार चंद्रशेखर उलझ गए हैं. सेंट्रल जेल में सुशील श्रीवास्तव हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे गैंगस्टर विकास तिवारी के मामले में जेल अधीक्षक ने दो तरह के पत्राचार कर फंस गए हैं. चार अगस्त 2015 से जेपी केंद्रीय कारा में बंद गैंगस्टर विकास तिवारी के मामले में जेल अधीक्षक ने 16 मई को हजारीबाग के डीसी और एसपी को पत्राचार किया था. उसमें उन्होंने प्रशासनिक दृष्टिकोण से विकास तिवारी को यहां से हटाकर दूसरे जेल में ट्रांसफर करने की अनुशंसा की थी. पत्र में जेल अधीक्षक ने लिखा था कि विकास तिवारी के यहां रहने से गैंगवार और अप्रिय घटना की आशंका है. इस पत्र के आलोक में हजारीबाग डीसी ने जेल आईजी से विकास तिवारी को अन्यत्र जेल में भेजने की अनुशंसा की थी. लेकिन महज तीन दिन बाद 19 मई को जेल अधीक्षक ने विकास तिवारी का कस्टडी सर्टिफिकेट जारी कर अंतिम पंक्ति में लिख दिया कि विकास तिवारी का चरित्र जेल में संतोषजनक है.
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विकास तिवारी पर 15 केस दर्ज
उसके बाद इस पत्र को विकास तिवारी के अधिवक्ता निरंजन तिवारी को भी भेज दिया गया. ऐसे में मौका मिलते ही विकास तिवारी ने झारखंड सरकार व अन्य को वादी बनाते हुए हाईकोर्ट में जेल आईजी के जेल स्थानांतरण के आदेश को चुनौती दे डाली. जेल आईजी ने 17 मई को विकास तिवारी का स्थानांतरण प्रशासनिक दृष्टिकोण से दुमका जेल करने का आदेश जारी किया था. लेकिन जेल अधीक्षक कुमार चंद्रशेखर की ओर से जारी कस्टडी सर्टिफिकेट के आधार पर जेल स्थानांतरण के आदेश को रद्द कर दिया गया. इस संबंध में कोर्ट ने 21 अगस्त को आदेश भी जारी किया था. उसके बाद सीआईडी ने पूरे मामले की समीक्षा करते हुए गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर बताया कि विकास तिवारी पर 15 केस हैं. वहीं झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के बिंदु पर फैसला लेने का आग्रह किया गया है. साथ ही हजारीबाग जेल अधीक्षक पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी अनुशंसा की है.
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