Hazaribagh: एक तरफ पेड़ लगाने के लिए वन विभाग द्वारा लोगों को जागरूक किया जाता है और दूसरी ओर अधिकारियों की मिलीभगत से जंगल साफ किये जाते हैं. इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है. ताजा मामला जिले के कटकमसांडी के हेदलाग गांव का है. यहां डेढ़ लाख से अधिक सखुआ के पेड़ नष्ट करने का मामला सामने आ रहा है.
इस मामले में रेंजर की संलिप्तता भी बताई जाती है. पिछले 4 दिनों से वन विभाग द्वारा इस इलाके में डोजरिंग कर डिमार्केशन के पिलरों के अंदर जमीन समतल कराने का कार्य चल रहा है. हजारीबाग के पश्चिमी वन प्रमंडल में आने वाले इस इलाके में पहले भी कई बार शिकायतें की गयी हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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रेंजर पर उठ रहे सवाल
डीएफओ पश्चिमी ने जब मामले की जानकारी रेंजर से ली तो उसने इस जमीन को रैयती बता दिया. जानकारों की मानें तो यह भूमि रैयती नहीं है. अगर रैयती होती तो भू स्वामी को इन पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग से आदेश लेना पड़ता. इसके लिए विभागीय प्रक्रिया होती है. तब पेड़ काटा जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है. जाहिर है इसमें रेंजर की भूमिका संदिग्ध है.
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फर्जी कागजात बनाकर बेची जाती है वन भूमि
बता दें कि फर्जी कागज बनाकर वन विभाग की जमीन की खरीद-बिक्री का मामला पहले भी आता रहा है. ऐसे मामले में कई बार कार्रवाई हुई है. कई कर्मियों पर गाज भी गिरी है, लेकिन उसके बाद भी यह गोरखधंधा जारी है. बता दें कि हजारीबाग में वन भूमि के नक्शे में हेरफेर कर जमीन बेचने के बड़े स्कैंडल का खुलासा पहले भी हुआ था. अभी का मामला थोड़ा इससे अलग है. इस पर विभाग के गंभीर होने की जरूरत है.
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