Hazaribagh: आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने आज जमानत दे दी. कल मंगवार के दिन दायर जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. जिसमें केस के अनुसंधानकर्ता को केस डायरी के साथ 24 घंटे बाद उपस्थित होने को कहा गया था. आज केस डायरी मिलने के बाद राजेश मिश्रा को जमानत दे दी गई. राजेश मिश्रा की ओर से अधिवक्ता राजकुमार राजू ने अपनी दलीलें पेश की थी. कल आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा जेल से बाहर होंगे.
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मुख्य साजिशकर्त्ता का कब होगा पर्दाफाश ?
इस पूरे मामले में भले ही पुलिस ने 5 लोगों को जेल भेज दिया. लेकिन अभी भी मुख्य आरोपी, मुख्य साजिशकर्ता का पर्दाफाश होना बाकी है. पुलिस ने जो कहानी बतायी है, उसमें रजिस्ट्री ऑफिस के एक कर्मी केr संलिप्तता की बात कही जा रही है. और उस रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मी आनंद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. घटनाक्रम के अनुसार आनंद ने अपने साथियों के साथ मिलकर आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा के डिक्की में मादक पदार्थ रखा और पुलिस को इसकी सूचना देकर उसे पकड़वाया. लेकिन जिस तरह हर अपराध का एक कारण होता है. या जिस कार्य के लिए अपराध किया जाता है. वह इस पूरे मामले में अभी तक स्पष्ट नहीं है.
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रजिस्ट्री ऑफिस से मांगी गई थी कई सूचनाएं
आरटीआई एक्टिविस्ट रजिस्ट्री ऑफिस से कई सूचना मांग चुके थे. जिसमें एक सूचना विभागीय स्तर पर तैयार थी और उसे राजेश मिश्रा को देने की तैयारी में थे. लेकिन मौके पर उसे नहीं दिया गया. जिसके बाद से ही राजेश मिश्रा रजिस्ट्री ऑफिस के पदाधिकारी और कर्मी से उलझ भी चुके थे. सूत्र बताते हैं रजिस्ट्री ऑफिस के रजिस्टर के कहने पर आरटीआई का जवाब के कागजात रोके गए थे. सूत्रों की मानें तो सीधे तौर पर रजिस्ट्रार की ओर सक की सुई घूमती है. क्योंकि जो आरटीआई के तहत जवाब मांगे गए थे. उनसे रजिस्ट्रार को मुश्किल हो सकती थी. दूसरे मामलों की तरह यह मामला भी ठंडे बस्ते में ना चला जाए और मुख्य आरोपी फिर बेनकाब ना हो, इसके लिए उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक का सक्रिय रहना जरूरी है.
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राजेश मिश्रा प्रकरण में कई अनसुलझे सवाल
इस प्रकरण में जब बड़े अधिकारी का आदेश नहीं हुआ है तो एक छोटा कर्मी आनंद आखिर इस मामले में संलिप्त क्यों होगा ? आरटीआई के किसी भी सवाल जवाब से जब कर्मियों पर कोई आंच नहीं आनी है. तो फिर रजिस्ट्री ऑफिस इस मामले में संलिप्त क्यों हुआ ? क्या इस पर अपने बड़े अधिकारी यानी रजिस्ट्रार वैभव मणि त्रिपाठी का दबाव था ? हजारीबाग में ऐसे कई मामले हैं जिनका पूरी तरह से खुलासा नहीं हुआ है. ऐसे खुलासे के बाद ही मामले को बंद कर दिया गया. आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा का भी मामला कुछ ऐसा ही है. इस पूरी कहानी में मुख्य साजिशकर्ता कौन है ? किस के निर्देश पर यह सब काम हुआ है ? यह सामने आना बाकी है. साथ ही साथ मादक पदार्थ लाने वाला कौन व्यक्ति था और यह कहां से आया है ? इस मामले का भी अब तक खुलासा नहीं हुआ है.
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