Hazaribagh : अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर वैचारिक संस्था सागर भक्ति संगम ने गुरुवार को स्थानीय स्वर्ण जयंती पार्क में सभा आयोजित की. संगम के सदस्यों ने विश्वभर के शिक्षकों को विश्व में शांति और नैतिकता के स्थापना के लिए एक होने का आह्वान किया. सभा की अध्यक्षता संगम के संयोजक विजय केसरी और संचालन डॉक्टर सुरेश प्रसाद ने किया.
अध्यक्षता करते हुए संगम के संयोजक विजय केसरी ने कहा कि भारत ने सर्वप्रथम जगतगुरु परंपरा का आह्वान किया था. भारत के ऋषि मुनियों ने यह सूत्र दिया था कि संपूर्ण मानव जाति एक ही परमपिता की संतान हैं. सबकी शिक्षा एक समान होनी चाहिए. ऐसी शिक्षा, जिससे संपूर्ण मनुष्य जाति में नैतिकता और मनुष्यता की स्थापना हो. कहा कि आज का दिन विश्वभर के शिक्षकों के हाल जानने का दिन है. उन सबों के बेहतरी लिए हर स्तर पर कार्य होना चाहिए. विश्वभर के शिक्षकों का दायित्व बनता है कि वैश्विक शिक्षा का मापदंड ऐसा बने कि लोगों में नैतिकता, मनुष्यता और शांति कायम हो सके.
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ग्लोबल शिक्षा पद्धति की हो शुरुआत -शिक्षाविद
इस मौके पर शिक्षाविद के.सी. मेहरोत्रा ने कहा कि जब संसार की मनुष्य जाति एक समान हैं. सबों के पिता एक हैं. सबों का जीवन और मरण एक समान है. तब सबों के लिए शिक्षा अलग-अलग क्यों ? ग्लोबल शिक्षा पद्धति की शुरुआत होनी चाहिए. भारत ने इस परंपरा की शुरुआत जगतगुरु के आह्वान के साथ बरसों पूर्व किया था. इस दिशा में भारत के कदम आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं. विश्व के शिक्षकों की बेहतरी के लिए हर देश के राष्ट्राध्यक्षों को आगे आना चाहिए. पूर्व प्राचार्य बीना अखौरी ने कहा कि एक शिक्षक के रूप में हमारा लंबा जीवन रहा है. आज विश्व में जहां कहीं भी अशांति है. इसके लिए कहीं ना कहीं हमारी वैश्विक शिक्षा पद्धति जिम्मेवार है.
ये लोग रहे मौजूद
इन वक्ताओं के अलावा वीरेंद्र जायसवाल, शंभू शरण सिन्हा,संजय खत्री, जयप्रकाश गुप्ता, सुरेंद्र गुप्ता ”पप्पू”, सुरेश मिस्त्री,बी.वी कुशवाहा, अखिलेश सिंह, अजीत कुमार, डॉक्टर सुरेश प्रसाद, गोपाल ठाकुर, प्रदीप स्नेही, अशोक प्रसाद आदि ने भी अपने-अपने विचार रखें. धन्यवाद ज्ञापन गोपाल ठाकुर ने किया.
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