सड़क दुर्घटना में बच्ची और चालक की हो गई थी मौत, 14 बच्चे हुए घायल
Pramod Kumar Upadhyay
Hazaribagh: कटकमसांडी सड़क दुर्घटना में एक बच्ची और चालक की मौत हो गयी जबकि 14 बच्चे घायल हो गये. अब स्कूल संचालक इसकी जिम्मेदारी लेने से साफ इंकार कर दिया है. वह कभी सड़क परिवहन को दोषी ठहरा रहा है तो कभी बस चालक को नया ड्राइवर बताकर पल्ला झाड़ रहा है. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार है. किसकी लापरवाही की वजह ये हादसा हुआ.
उठ रहे कई सवाल
हजारीबाग जिले में कई स्कूलों में चल रहे स्कूल वाहनों का ना तो इंश्योरेंस है और ना ही गाड़ी का रजिस्ट्रेशन है. यहां तक की कई चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं रहता. अब यह सवाल उठ रहा है कि आखिर स्कूल संचालक और जिला प्रशासन ने बच्चे लाने के लिए वैन को कैसे इजाजत दे दिया. इन चालकों या गाड़ी की कभी स्कूल प्रबंधन के द्वारा जांच पड़ताल नहीं की जाती है. दो माह पहले भी ‘शुभम संदेश’ की पड़ताल में यह खुलासा किया गया था कि हजारीबाग जिले में कई स्कूल चल रहे हैं जहां बिना लाइसेंस-इंश्योरेंस के बस चल रहे हैं. अगर उसपर कार्रवाई की जाती तो शायद ये हादसा न होता.
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वाहन चालक लेते हैं अभिभावक से मोटी फीस
इस संबंध में कंसार निवासी गुलाब राम ने बताया कि किसकी गलती है वह नहीं जानते पर स्कूल वैन में यह लिखा होना चाहिए था कि गाड़ी में बच्चे बैठे हैं. वाहन पर स्कूल का नाम भी नहीं लिखा हुआ था. बिजनेस के उद्देश्य से बिना सुरक्षा दिए वैन से बच्चों को लेकर आवाजाही की जा रही थी. उनका कहना है कि सुरक्षा के उपाय होने चाहिए थे. लेकिन पैसा कमाने के चक्कर में जैसे तैसे बच्चों को वैन में बैठाकर 25 किलोमीटर दूर ले जाया जाता था.
तरह-तरह के आश्वासन देकर स्कूल संचालक लेते हैं नामांकन
इस संबंध में कटकमदाग निवासी संतोष कुमार ने बताया कि जिले में कई स्कूल चल रहे हैं जो बिना रजिस्ट्रेशन के ही खुले हुए हैं. ग्रामीण इलाके में जाकर स्कूल संचालक तरह-तरह के आश्वासन देकर नामांकन करा लेते है. बाद में घटना होने पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल संचालक को खुद बस और गाड़ी की व्यवस्था करना चाहिए था. प्रत्येक बच्चे के लिए 1000 से लेकर 1500 तक महीना वसूला जाता है.
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हादसे के बाद पल्ला झाड़ रहे
इस संबंध में संत अगस्टिन स्कूल के संचालक पूर्णिमा सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन को सड़क के किनारे धीमी गति से चलने के लिए बोर्ड लगाना चाहिए था. अगर आज बोर्ड होता तो लोग पढ़ कर जागरूक होते और गाड़ी धीमी गति से गाड़ी चलाते. उन्होंने यह भी कहा कि जिस बस से दुर्घटना हुई उसके संचालक ने नया ड्राइवर को रखा था. यही कारण है कि आमने-सामने से टक्कर हुई. सभी बच्चे स्कूल के ही थे पर गाड़ी स्कूल की नहीं थी. निजी वाहन संचालक ने बच्चे लाने की जिम्मेदारी ली थी. मारूति वैन को गाड़ी के संचालक का बेटा ही चला रहा था. अब घटना घटी है तो बच्चों के परिजन के साथ स्कूल संचालक साथ खड़ा रहेगा. हर संभव मदद भी करने का प्रयास किया जाएगा.