अभिभावकों ने री-एडमिशन के नाम पर ढाई हजार रुपए मांगने का लगाया आरोप
कहा-नामांकन के समय नि:शुल्क शिक्षा देने की कही गई थी बात
सभी बच्चों को दी जा रही मुफ्त शिक्षा, आरोप बेबुनियाद : संचालक
Pramod Upadhyay
Hazaribagh : हजारीबाग के दीपूगढ़ा हाउसिंग कॉलोनी में संचालित रोजबड स्कूल सरकार के आदेश को ठेंगा दिखा रहा है. सरकारी प्रावधान दिखाकर बीपीएल परिवार के बच्चों का नि:शुल्क नामांकन लेते हैं. बाद में उन्हीं बच्चों से फीस वसूलते हैं. फीस नहीं देने पर बच्चों को लाइन में खड़ा कर बच्चों को अंक पत्र नहीं देने की शिकायत कई अभिभावकों ने की है. जिन बच्चों के साथ ऐसा किया गया उनके अभिभावकों का कहना है कि नामांकन के समय नि:शुल्क शिक्षा देने की बात कही गई थी. इसके लिए सभी कागजात स्कूल को उपलब्ध करा चुके हैं. कुछ माह पढ़ने के बाद जब छमाही परीक्षा का समय आया, तो उन बच्चों का रिजल्ट रोक दिया गया.
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प्राइवेट स्कूलों में 25% बच्चों का नामांकन बीपीएल परिवार से
वहीं अभिभावकों का कहना है कि उनसे ढाई-ढाई हजार रुपए री-एडमिशन के नाम पर मांग की गई. अभिभावकों ने बताया कि सरकार का प्रावधान है कि प्राइवेट स्कूलों में 25% बच्चों का नामांकन बीपीएल परिवार के बच्चों का करना है. उनसे किसी प्रकार का शुल्क नहीं लेना है. इसी कारण उन्होंने बच्चों का यहां नामांकन कराया था.
परीक्षा का रिजल्ट नहीं दिया जा रहा : राकेश महतो
केस-1 : रोजबड स्कूल के विद्यार्थी के अभिभावक पदमा रोमी निवासी राकेश महतो ने बताया उनका बच्चा यूकेजी में पढ़ता है. बीपीएल नंबर के आधार पर सरकार के आदेश अनुसार नामांकन कराया. आठ माह के बाद छमाही परीक्षा देने के पश्चात स्कूल प्रबंधन ढाई हजार रुपए मांग रहा है. स्कूल में बच्चों के माध्यम से अभिभावकों को बुलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि उनके पास पैसे नहीं हैं. परीक्षा का रिजल्ट भी नहीं दिया जा रहा है.
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“इससे अच्छा सरकारी स्कूल में ही रहने देते”
केस-2 : इचाक अलौंजा के जीतेंद्र महतो ने बताया कि गरीबी के कारण बच्चे का नाम सरकारी स्कूल में लिखवाया था. सरकार का गाइडलाइन आने के बाद रोजबड स्कूल में नामांकन कराया. नामांकन तो हुआ अब ढाई हजार रुपए मांगा जा रहा है. पहले जानकारी होती, तो सरकारी स्कूल में ही बच्चे को रहने देते.
मांगे जा रहा ढाई हजार रूपये : जागेश्वर महतो
केस-3 : जगदीशपुर के जागेश्वर महतो ने बताया कि उनका बच्चा यूकेजी में पढ़ता है. बीपीएल परिवार के कारण नि:शुल्क नामांकन की बात कही गई थी. पूरी कागजात बनाकर दिए. लेकिन अब री-एडमिशन के नाम पर ढाई हजार रुपए मांगे जा रहे हैं.
स्कूल में बीपीएल परिवार के 13 बच्चे नामांकित : संचालक
इस संबंध में स्कूल के संचालक अजय सिंह ने बताया कि पैसे मांगे जाने का आरोप बेबुनियाद है. उनके स्कूल में बीपीएल परिवार के 13 बच्चे पढ़ रहे हैं. किसी से कोई रकम नहीं मांगी जा रही है. न ही बच्चों का अंक पत्र रोका गया है. बच्चों को किसी प्रकार की प्रताड़ना नहीं दी जा रही है.