Hazaribagh: उपायुक्त द्वारा एनजीटी को जो जानकारी दी गई है उसमें कितना दम है. यह पड़ताल का विषय है. लगातार डॉट इन की टीम जब इन क्षेत्रों का दौरा किया तो जानकारी चौंकाने वाली थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल इन क्षेत्रों से खाली ट्रक गुजरते हैं और आबादी वाले क्षेत्र से कोयला भरे ट्रकों का आवागमन नहीं होता है. जबकि सच्चाई यह है कि फतहा से रेलवे साइडिंग कटकमदाग तक आधा दर्जन से अधिक गांव हैं. जब ट्रक गुजरता है तो काफी प्रदूषण फैलता है. रास्ते में पड़ने वाले सभी गांव प्रदूषण की चपेट में हैं.
उपायुक्त ने जो रिपोर्ट भेजr है उसमें यह भी कहा गया है कि प्रदूषण से केवल बनादाग और फतहा चपेट में है. सच्चाई यह है कि पूरा इलाका ही प्रदूषण के चपेट में है. इसमें जितने गांव प्रदूषण की जद में हैं उनकी संख्या आधा दर्जन से अधिक है.
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कोनार नदी के उद्गम पर खतरा
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके आसपास केवल गोंडा डैम है. यह रेलवे साइडिंग से ढाई किलो मीटर की दूरी पर है. हकीकत यह है कि रेलवे साइडिंग से 500 मीटर की दूरी पर झारखंड की प्रमुख नदियों में से एक कोनार नदी का उद्गम स्थल है. साइडिंग बनने के बाद विलुप्त होने के कगार पर है. इसी कोनार नदी पर डीवीसी ने बिष्णुगढ़ इलाके में कोनार डैम का निर्माण किया गया है.
रिपोर्ट में किसानों की फसल के प्रदूषण से खराब नहीं होने की बात कही गई है. हकीकत यह है कि आसपास के किसान अपने खेतों में कोयले के धूल से फैलने वाली गंदगी से परेशान हैं. इस कारण कई बार इनकी फसल बर्बाद हो चुकी है.
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नियम का पालन हो
बता दें हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड के केसुरा पंचायत में एनटीपीसी के रेलवे साइडिंग पर एनजीटी कोर्ट का फैसला आया है. इसमें एनजीटी ने स्पष्ट आदेश दिया है कि 3 महीने के अंदर कन्वेयर बेल्ट से कोयले की ढुलाई सुनिश्चित की जाए. कहा गया है कि प्रदूषण विभाग के जो भी मानक हैं उसका पालन कड़ाई से हो रहा है कि नहीं यह भी प्रदूषण विभाग सुनिश्चित करे.
बताया जाता है कि इस क्षेत्र में प्रतिदिन 5 से दस हज़ार कोयले की गाड़ियां गुजरती हैं. इससे पूरा इलाका भयानक प्रदूषण की चपेट में है. इस आदेश के बाद कन्वेयर बेल्ट से धुलाई होने के कारण ट्रकों से होने वाली धुलाई बंद हो जाएगी. इससे प्रदूषण बहुत कम होगा.
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