Pramod Upadhyay
Hazaribagh: जिले के इचाक मोड़ स्थित एनएच-33 से चतरा रोड को जोड़नेवाली बहिमर तक की सड़क की स्थिति जर्जर है. महज तीन साल में ही सड़क की बदतर स्थिति हो गयी है. इस सड़क की कुल लागत करीब 96 करोड़ की थी. इसे वित्तीय सत्र 2017-18 में बनाई गई थी. इस सड़क में जिन रैयतों की भूमि गई, उनका भी भुगतान नहीं हुआ. सड़क की कुल लंबाई 17.828 किलोमीटर है. अब इस पर पैदल तो क्या, वाहनों का आवागमन भी खतरे से भरा है. सड़क के दोनों किनारे ध्वस्त हो गए हैं. कहीं की मिट्टी बारिश में बह गई, तो कहीं गार्डवाल टूट गया. कहीं-कहीं तो सड़क के किनारे इतने गहरे गड्ढे हो गए हैं कि गलती से भी कोई उधर गिर गया, तो जान भी जा सकती है. असंतुलित होने पर वाहन पलटने का खतरा बना रहता है.
इस सड़क की कुल लागत 96 करोड़ 15 लाख 7300 रुपए थी. इसे 58 करोड़ 97 लाख 10 हजार 300 रुपए में सड़क बनाई गई. शेष राशि से करीब पांच सौ रैयतों का भुगतान किया जाना था, लेकिन एक भी रैयत का भुगतान नहीं किया गया. पीडब्ल्यूडी की ओर से बनाई गई इस सड़क का संवेदक जमशेदपुर की एमएसएमए कंपनी थी. उसे तीन साल तक मरम्मत की भी जिम्मेवारी दी गई थी. साथ ही सड़क पर रेडियम लाइट, विलेज-स्कूल, दूरी और योजना से संबंधित प्राक्कलन का बोर्ड भी लगाना था. लेकिन गिने-चुने जगहों पर ही बोर्ड लगाया गया और सड़क बनाकर छोड़ दिया गया.
गांव में घुस रहा सड़क का पानी
जमीन की परत से तीन फीट गहरी खुदाई कर सड़क बनानी थी. ऐसा नहीं हुआ. पुरानी सड़क पर चार फीट मिट्टी भरवाकर सड़क बना दी गई. इससे सड़क ऊपर और ग्रामीणों के घर नीचे हो गए. ऐसे में बरसात का पानी ग्रामीणों के घर में घुसने लगे. इससे ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई. पूर्व वार्ड सदस्य काशीनाथ यादव कहते हैं कि सड़क बनाने में घोर अनियमितता बरती गई. उस समय भी उन्होंने इसका विरोध किया था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अब हम ग्रामीण खामियाजा भुगत रहे हैं. ग्रामीण सतन राणा ने कहा कि सड़क किनारे उनका घर है. बरसात का पूरा पानी उनके घर में घुस रहा है. महादेव गोप, बैजनाथ यादव और रामचंद्र यादव भी घर में पानी घुसने से परेशान हैं.
कई रैयतों को नहीं मिला मुआवजा
रैयत आलोक उपाध्याय कहते हैं कि सड़क में उनकी एक कट्ठा जमीन गई है. उन्हें अब तक मुआवजा नहीं दिया गया है. ठेकेदार से लेकर पीडब्ल्यूडी और भू-अर्जन कार्यालय तक गुहार लगाते-लगाते थक गए. कोई सुनवाई नहीं हुई. रैयत संतोष उपाध्याय कहते हैं कि सड़क बनने के समय विरोध किए थे, तो ठेकेदार ने गांव को ही उग्रवाद प्रभावित बताकर पुलिस को बुला लिया. फिर फोर्स के बल पर जबरन जमीन ले ली. आज तक फूटी कौड़ी मुआवजा नहीं दिया गया. रैयत मनोज यादव ने कहा कि कहीं कम, तो कहीं ज्यादा जमीन लेकर भी मुआवजा नहीं दिया गया. सड़क भी प्राक्कलन के आधार पर नहीं बनाई गई. अब अधिकारी भी सुनने को तैयार नहीं हैं. टालमटोल करते रहते हैं. सही जवाब तक नहीं देते हैं. रैयत धीरेंद्र उपाध्याय कहते हैं कि जिस वक्त सड़क बन रही थी, उस समय जमीन मुआवजा की मांग की थी. कभी सीओ, तो कभी एसडीओ का हवाला देकर सिर्फ जमीन के कागज लेते रहे. लेकिन पैसे देने की बारी आयी, तो कोई सुनवाई नहीं हुई.
रैयतों का भुगतान कर दिया जाएगा : विनोद कुमार
रैयत अर्जुन साव, लक्ष्मी साव, विकास उपाध्याय और मनोज ठाकुर ने बताया कि अब वे लोग जल्द आंदोलन करेंगे. सरकारी दफ्तरों का चक्कर काटते-काटते थक गए हैं. मुआवजा नहीं मिला है. अब सड़क पर उतरेंगे. चक्का जाम से लेकर राजधानी तक कूच करेंगे. हर हाल में मुआवजा लेकर रहेंगे. इसमें इचाक मोड़, डुमरौन, भूसवा, तिलरा, कवातू, नावाडीह, रहिया, डांड़ और बहिमर की करीब 500 ग्रामीणों की जमीन सड़क में गई है. वहीं इस मामले पर पीडब्ल्यूडी के एक कर्मी ने बताया कि सड़क बनाने के क्रम में जिन रैयतों की जमीन गई है, इस बारे में भू-अर्जन कार्यालय को जानकारी उपलब्ध कराई गई है. अब भू-अर्जन कार्यालय की जिम्मेवारी बनती है कि रैयतों की जमीन को चिह्नित कर उन्हें मुआवजा दे. इस मामले पर भू-अर्जन पदाधिकारी विनोद कुमार ने कहा कि रैयतों का भुगतान नहीं हुआ है. एक बार राशि लैप्स कर गई थी. उसके बाद मामला फंस गया. रैयतों का भुगतान कर दिया जाएगा. कुछ रैयतों का भुगतान हुआ है.
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