New Delhi : सुप्रीम कोर्ट में Article 370 (जम्मू-कश्मीर) से जुड़ी याचिकाओं पर लगातार सुनवाई जारी है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ दलील सुन रही हैं. जान लें कि याचिकाकर्ताओं ने Article 370 को रद्द किये जाने के फैसले को SC में चुनौती दी है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
सुप्रीम कोर्ट को दो अहम बिंदुओं पर मंथन करना हैं
स क्रम में आज मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं के वकील अपनी दलीलें पेश करेंगे. पूर्व में याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल दलील पेश कर चुके हैं कि कि Article 370 ने स्थायी रूप ले लिया है. उसे संसद निरस्त नहीं कर सकती. जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को दो अहम बिंदुओं पर मंथन करना हैं.
संसद द्वारा अपनायी गयी प्रक्रिया क्या वैध मानी जाये?
पहला यह कि क्या Article 370 ने जम्मू कश्मीर की संविधान सभा की समाप्ति के साथ स्थायी दर्जा पा लिया? और दूसरा यह कि उसे निरस्त करने के लिए संसद द्वारा अपनायी गयी प्रक्रिया क्या वैध मानी जाये? खबरों के अनुसार अनुच्छेद(Article) 370 खत्म करने के खिलाफ 18 वकील बहस करेंगे. जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने से जुड़े Article 370 को रद्द किये जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट दाखिल याचिका पर पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है.
SC ने याचिकाकर्ता के वकीलों को बहस के लिए 60 घंटे का समय मुकर्रर किया
कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता की ओर से दलील की शुरुआत की है. जान लें कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकीलों को बहस के लिए कुल 60 घंटे का समय मुकर्रर किया है. सुप्रीम कार्ट में जब जम्मू-कश्मीर से Article 370 को निरस्त किये जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई थी तो पहले दिन SC का सवाल था कि क्या चुनी हुई राज्य (जम्मू-कश्मीर) सरकार की सिफारिश से 370 निरस्त नहीं हो सकता? कपिल सिब्बल का जवाब था कि चुनी हुई राज्य सरकार के पास भी यह अधिकार नहीं था.
जम्मू कश्मीर की संविधान सभा फैसला ले सकती थी
इस पर सुप्रीम कार्ट द्वारा पूछा गया कि एक अस्थायी प्रावधान (Article 370) 1957 में जम्मू कश्मीर संविधान सभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद स्थायी कैसे हो सकता है? पूछा कि संविधान सभा का कार्यकाल 1957 में खत्म हो गया, तो आगे अब क्या हो सकता है ? सिब्बल के अनुसार 1951 से 1957 तक जम्मू कश्मीर की संविधान सभा फैसला ले सकती थी. उस दौरान यह Article -370 अस्थायी था, लेकिन 1957 के बाद Article -370 निरस्त किया जाना संभव नहीं था.