Rahul Kumar
Ranchi : बात 17वीं शताब्दी की है. बड़कागढ़ में नागवंशी राजा हुआ करते थे, ठाकुर एनीनाथ शाहदेव. एक बार वह अपने नौकर के साथ भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए जगन्नाथपुरी (आज का पुरी) गये थे. यात्रा के दौरान ठाकुर एनीनाथ शाहदेव के नौकर में ऐसी भक्ति जगी कि वह भगवान जगन्नाथ का परम भक्त बन गया.
कहा जाता है कि ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने पुरी मंदिर की तर्ज पर ही रांची में भी मंदिर के निर्माण के आदेश दिये. और रांची के धुर्वा में 25 दिसंबर 1691 को जगन्नाथ मंदिर बनकर तैयार हो गया. जो वर्तमान में जगन्नाथपुर के चोरया टोली का सिवान वार्ड नंबर 42 मौसीबाड़ी है.
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मंदिर निर्माण के बाद यहां बसाये गये थे राजवार परिवार
राजपरिवार के ठाकुर नवीन नाथ शाहदेव बताते हैं कि जगरनाथपुर मंदिर निर्माण के समय ही चोरया टोली के सिवान में राजवार परिवारों को बसाया गया था. जिसे वर्तमान में मौसी बाड़ी के नाम से जानते हैं. साथ ही कहते हैं कि आज की वर्तमान स्थिती बहुत ही दयनीय है. लोग नरक में रहने के लिए मजबूर हैं. नगर निगम का भी कोई ध्यान इस मोहल्ले पर नहीं है.
इसी तरफ से जाते हैं विधानसभा माननीय
इसी मोहल्ले के बगल से होकर विधानसभा जाने के लिए रास्ता है और सभी माननीय विधानसभा में जाकर राज्य की तकदीर और तस्वीर पर बहस करते हैं. लेकिन किसी माननीय सदस्य की इस बस्ती पर नजर नहीं गयी. अगर नजर गयी होती, तो इसके हालात ऐसे नहीं होते न ही वहां के लोगों को सफाई जैसी मूलभूत समस्या से जूझना पड़ता.
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मौसीबाड़ी में रहने वाले लोगों की स्थिति जस की तस
आज भी मौसीबाड़ी में रह रहे लोगों की स्थिती वैसी ही नारकीय है, जैसी कई वर्षों पूर्व थी. रांची नगर निगम के क्षेत्र में आने के बावजूद इस वार्ड की किस्मत नहीं जागी है.
सफाई यहां की प्रमुख समस्या में एक है. लोग गंदगी के अंबार से परेशान हैं. लगभग एक हजार घरों वाली इस बस्ती में लगभग 10,000 लोग रहते हैं
लोगों का क्या है कहना
लोगों कहना है कि हम लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं. बस्ती में पिछले कई महीने से कचरा उठाने वाली गाड़ी नहीं आयी है. पहले भी कचरे का उठाव तभी होता था, जब पार्षद और अधिकारियों से इसकी शिकायत की जाती थी. बस्ती में जगह-जगह कूड़े का अंबार लगा है. इस गंदगी के बीच हम सभी रहने के लिए मजबूर है.
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