Ranchi: बीजेपी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए उसे कोरोना जैसी आपदा से निपटने में नाकाम बताया है. साथ ही कहा कि इस सरकार ने कोरोना काल में भी लोगों को मोदी सरकार के भरोसे छोड़ दिया. भाजपा प्रदेश कार्यालय में जमुआ के विधायक केदार हाजरा और पांकी विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता ने प्रेस को संबोधित करते हुए ये बातें कही.
झारखंड को केंद्र से मिला विशेष पैकेज
केदार हाजरा ने कहा कि केंद्र से 284 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज झारखंड को मिला, लेकिन सरकार इसका सदुपयोग नहीं कर सकी. राज्य सरकार ने कोरोना काल में भी सेवा भाव के बदले कमाऊ भाव से काम किया. पीपीई किट की खरीद महंगे दामों पर की गई. कोरोना जांच की दर भी दूसरे राज्यों से ज्यादा रही. आइसोलेशन सेंटर, कोविड सेंटरों में पानी, शौचालय आदि की कोई व्यवस्था नहीं की गई. जनता के बजाए सरकार अपनी ही सेवा में जुटी रही.
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मजदूरों का हक मार रही है सरकार
हाजरा ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से प्रावधान है कि जो मजदूर पंजीयन कराकर बाहर जाते हैं, उनकी मृत्यु होने पर डेढ़ लाख रुपये की सहायता राशि उनके परिजनों को दी जानी है. यदि मजदूर का पंजीयन नहीं है तो एक लाख तक राशि देना निश्चित है, लेकिन कई जिलों में श्रमिकों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. बेंगलुरु से मजदूरों के जत्थे को प्लेन से झारखंड भेजा गया था. इसमें इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स ने पैसा एकत्र करके भेजा था. पर हेमंत सरकार खुद दूसरो के किए कार्य मे भी अपना चेहरा चमकाती रही और इसका श्रेय लेती रही.
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प्रवासी मजदूर फिर वापस जाने को मजबूर
प्रवासी श्रमिक जो बाहर से झारखंड को लौटे थे, उन्हें उनके हाल पर ही छोड़ दिया गया. रोजी-रोजगार के अभाव में वे फिर से बाहर लौट गये. केंद्र सरकार ने पिछले साल मार्च से नवंबर के लिए भरपूर मात्रा में 9 महीने का अनाज झारखंड को उपलब्ध कराया, परन्तु गरीबों तक अनाज तक नहीं पहुंच सका. यह अनाज गोदामों में ही पड़ा-पड़ा सड़ गया. दीदी किचन, सामुदायिक किचन की सेवाओं पर सरकार के एक मंत्री ने ही सवाल उठा दिये थे. कुल मिलाकर सरकार का आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से आपदा से निपटने में विफल रहा.