Ranchi: किसानों की फसल बीमा की राशि के भुगतान की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने बीमा कंपनियों और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. अब इस मामले में 2 सप्ताह बाद सुनवाई होगी.
2 सप्ताह में सभी पार्टियों को जवाब देने का निर्देश झारखंड हाई कोर्ट ने दिया है. इसके साथ ही अदालत ने बीमा कंपनियों और केंद्र सरकार को भी इस मामले में पार्टी बनाने का निर्देश दिया है.
इसे भी पढ़ें –देवघर: फर्जी IAS और IFS बन करता था ठगी, हुआ गिरफ्तार
किसानों को सिर्फ आश्वासन मिला
झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता अनुप अग्रवाल के मुताबिक चतरा जिले के किसानों ने वर्ष 2016 में लगभग 207 करोड़ रूपये और वर्ष 2017 में करीब 176 करोड़ रूपये का फसल बीमा करवाया और दोनों वर्षों में चतरा जिले में फसल की पैदावार अच्छी नहीं हुई और जब बीमा का प्रीमियम भरने वाले किसानों ने बीमा राशि क्लेम की तो उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला.
इसे भी पढ़ें –दिल्ली पुलिस ने लाल किला हिंसा के आरोपियों की तस्वीरें जारी की
रघुवर सरकार ने झारखंड में लागू किया था
जिसके बाद तंग आकर किसानों ने झारखंड हाईकोर्ट में 2018 में WP/6801/18 दायर कर अदालत की शरण ली है. केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गयी इस योजना को तत्कालीन रघुवर सरकार ने झारखंड में लागू किया था और फसल के बीमा का जिम्मा दो इंशोयरेंस कंपनियों इफ्को टोक्यो जेनरल इंशोयरेंस और ओरिएंटल इंश्योरेंस कम्पनी को मिला था लेकिन अब तक किसानों को बीमा राशि का भुगतान नहीं हुआ है.
इसे भी पढ़ें –Lagatar impact : प्रभारी मापतौल नियंत्रक को शो कॉज, जवाब की हो रही जांचः सचिव
किसान क्षतिपूर्ति राशि के भुगतान की आस लिए बैठे हैं
वर्ष 2017 में सिर्फ चतरा जिले के किसानों ने 207 करोड़ रूपये का फसल बीमा करवाया था जिसका 25 प्रतिशत लगभग 52 करोड़ रूपये किसानों के मुताबिक उन्हें मिलना चाहिए. जबकि वर्ष 2018 में 176 करोड़ रूपये का फसल बीमा करवाने के बाद लगभग 44 करोड़ रूपये का क्लेम किसान कर रहे हैं. लेकिन उन्हें उनकी फसल की क्षतिपूर्ति राशि मिलेगी भी या नहीं ये अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. राज्य के लाखों किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसल का बीमा कराया था लेकिन फसल खराब होने के बाद अब किसान क्षतिपूर्ति राशि के भुगतान की आस लिए बैठे हैं .
इसे भी पढ़ें –राज्यसभा में कृषि मंत्री तोमर बोले, कृषि कानून में काला क्या है? विपक्षी सदस्य भी हंस पड़े