- – एमओयू के चार साल बाद भी समायोजन नहीं, छह साल से बंद है होटल
- – मालिकाना हक के लिए आईटीडीसी के साथ हुआ था एमओयू
- – अब सिर्फ छह कर्मचारी ही बच गये, 26 ने ले लिया वीआरएस
Shubham Kishore
Ranchi : राजधानी के पॉश इलाके में स्थित होटल अशोक छह साल से बंद पड़ा है. कभी शहर के सबसे बेहतरीन होटल में शुमार होने वाला यह होटल आज बदहाली की मार झेल रहा है. साथ ही यहां के कर्मचारियों की जिंदगी भी दांव पर लगी है. वर्ष 2018 में अचानक होटल के बंद होने से यहां के छह कर्मचारियों की जिंदगी बदल गयी है. अचानक से उनकी अजीविका पर संकट आ गया. नवंबर 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने होटल के मालिकाना हक को लेकर इंडिया टूरिज्म डेवलमेंट कॉरपोरेशन (आईटीडीसी) के साथ एमओयू भी किया था. लेकिन लगभग चार साल होने को हैं, पर समायोजन की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई है. जबकि राज्य सरकार ने शेयर ट्रांसफर को लेकर 10 करोड़ से ज्यादा की राशि आईटीडीसी को दे दी है.
लाखों के सामान हो गये चोरी
होटल अशाेक के कर्मचारियों ने बताया कि इस होटल के बंद होने के बाद असामाजिक तत्वों ने होटल के खिड़की-दरवाजों को तोड़कर पीतल व ब्रास के समान, क्रॉकरी आइटम, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि चोरी कर ले गये.
समायोजन का क्या है मामला
होटल अशोक के मालिकाना हक को लेकर झारखंड गठन के बाद से ही मांग हो रही है. 25 जून 2020 को होटल अशोक को लेकर सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में एक बैठक की गयी थी. जिसमें राज्य सरकार ने होटल के सभी शेयर खरीदने की बात रखी. इससे पहले राज्य सरकार ने केंद्र और बिहार से होटल को चलाने का पूरा हक मांगा था. राज्य गठन के पहले इसमें आईटीडीसी का 51 और बिहार का 49 प्रतिशत शेयर था. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद बिहार के 49 प्रतिशत शेयर में से 12.25 प्रतिशत शेयर झारखंड को दे दिया गया था. नवंबर 2020 में झारखंड सरकार और आईटीडीसी के बीच एमओयू हुआ. जानकारी के अनुसार, लगभग 17 से 18 करोड़ रुपये होटल की वैल्यू लगायी गयी. एमओयू के बाद होटल में 62.5 फीसदी शेयर की हिस्सेदार झारखंड सरकार होती, जबकि 37.5 फीसदी की हिस्सेदारी बिहार सरकार की रहती.
होटल परिसर बना जंगल, उगे बड़े-बड़े झाड़
2.69 एकड़ में फैले होटल अशोक की बिल्डिंग जर्जर हो गयी है. पूरे परिसर में बड़े-बड़े झाड़ी उग गये हैं. परिसर की खूबसूरती बढ़ाने वाला रोज गार्डन खराब हो गया है. 30 कमरों और तीन हॉल वाला परिसर रख रखाव के आभाव की मार झेल रहा है. जानकारी के अनुसार, आईटीडीसी ने परिसर की सुरक्षा के लिए चार सुरक्षाकर्मी भी रखे हैं. इसके लिए उन्हें नियमित भुगतान भी किया जा रहा है.
सरकार समायोजित करें या हमारी हत्या करवा दे : पंकज
होटल अशोक के हाउस कीपिंग इंचार्ज रहे पंकज सिंह ने केंद्र और राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों की मिलीभगत के कारण छह साल के बाद भी समायोजन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई. उन्होंने कहा कि यहां लगभग 32 कर्मचारी थे, जिसमें कइयों ने वीआरएस ले लिया. अब मात्र छह कर्मचारी बचे हैं. इनमें पंकज कुमार, वीरेंद्र प्रसाद ठाकुर, दीपक कुमार सहाय, ओम प्रकाश, जीतू सिंह, सुरेंद्र लाल शर्मा शामिल हैं, जो अभी भी समायोजन का आस में हैं. उन्होंने बताया कि लगभग दो साल से उन लोगों को वेतन भी नहीं मिला है. पंकज ने कहा कि यह पूरी तरह सरकार की गलती है. पैसा देने के बाद भी समायोजन की प्रक्रिया नहीं हुई, तो सरकार खामोश क्यों रही. उन्होंने कहा कि सरकार या तो 10 दिन के अंदर हमें समायोजित करें, या हमारी हत्या करवा दे. उन्होंने कहा कि इस मामले में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन, सीएम चंपाई सोरेन के अलावा विभागीय मंत्री, सचिव स्तर के अधिकारी और सांसद सभी से मिले. लेकिन समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है.
केंद्र सरकार नहीं कर रही मदद : हफीजुल हसन
इस मामले पर जब विभागीय मंत्री हफीजुल हसन से बात की गयी, तो उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार होटल अशोक के समायोजन में कोई मदद नहीं कर रहा है. अगर केंद्र सरकार चाहेगी, तो पूरी प्रक्रिया एक ही दिन में पूरी की जा सकती है. सारा मामला फाइलों में अटका पड़ा हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड सरकार ने बिहार सरकार को शेयर ट्रांसफर के लिए कुछ पैसे भी दे दिये हैं, फिर भी प्रकिया आगे नहीं बढ़ी है.