Chulbul
Ranchi: जिला प्रशासन को कलेक्ट्रेट भवन में आग लगने से होने वाले नुकसान की कोई चिंता नहीं दिख रही है. यहां आग से बचाव के लिए हर फ्लोर पर 12 से 15 अग्निशमन यंत्र लगाये गए हैं, पर सभी अग्निशमन यंत्र या तो फेल हो गए हैं, या फिर उसमें मैनुफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट की कोई जानकारी नहीं है. बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर से लेकर चौथे तल्ले तक अलग-अलग विभागों के कार्यालयों के बाहर ये बुझाने वाले सिलेंडर लगाए गए हैं. फिर भी अगर बिल्डिंग में कहीं किसी भी कारण से आग लगती है, तो उसपर काबू पाने में प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है साथ ही जानमाल की बड़ी हानि हो सकती है.
सभी अग्निशमन यंत्र फेल
समाहरणालय भवन में लगे लगभग सभी अग्निशमन यंत्र एक्सपायर हो चुके हैं.फरवरी 2019 में लगाए गए ये सिलेंडर फरवरी 2020 में ही एक्पायर हो चुके हैं. करीब डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी इन सिलेंडरों को बदला नहीं गया है. बल्कि यहां जिला के सबसे बड़े अधिकारी उपायुक्त, कई उच्च पदाधिकारी के साथ ही आम जनता हर दिन राशन कार्ड, पेंशन, ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़े काम करवाने आते हैं. यह उन सभी की सुरक्षा से खिलवाड़ है.
सिलेंडरों पर नहीं है स्पष्ट जानकारी
समाहरणालय भवन के ब्लॉक ए में कुछ सिलेंडरों पर 2019 के मैन्युफैक्चरिंग की जानकारी दिखती है, पर अधिकांश में कोई मैन्युफैक्चरिंग-एक्सपायरी डेट की जानकारी नहीं है.पूरे कलेक्ट्रेट भवन (ब्लॉक ए और ब्लॉक बी) के चौथे तल्ले तक लगभग 150 सिलेंडर लगे हैं. ये सभी 4.5, 6 और 8 किलो वाले हैं. ब्लॉक बी के हर फ्लोर पर लगभग 10-12 सिलेंडर और ब्लॉक ए के हर फ्लोर पर 12 से 15 अग्निशमन यंत्र लगे हैं. इसमें भी खास बात यह है कि ब्लॉक बी में लगे सिलेंडर 2019 में लगे थे, और उनके एक्सपायर होने वाले प्रमाण कार्ड भी उन सिलेंडरों पर लगे हैं.
लेकिन ब्लॉक ए में लगे कुछ सिलेंडरों पर 2019 में मैन्युफैक्चरिंग की तारीख है, पर उनमें कोई वैलिडिटी कार्ड ही नहीं है. वहीं अधिकतर सिलेंडरों में न तो रीफिलिंग के बारे में कोई जानकारी है और ना ही उनके एक्सपायर होने की सूचना है.
हॉस्पिटलों-होटलों में लगातार होती है चेकिंग, पर यहां डेढ़ कोई नहीं लेता सुधि
यूं तो जिला प्रशासन की ओर से हॉस्पिटलों, होटलों, अपार्टमेंट सहित कई भीड़-बाड़ वाले पब्लिक बिल्डिंगों में अग्निशमन यंत्र की चेकिंग की जाती है. एक्पायर होने पर कार्रवाई करते हुए उन्हें सील किया जाता है. नोटिस देकर उसे रिप्लेस करवाया जाता है. पर कलेक्ट्रेट भवन में पिछले डेढ़ साल से इसकी कोई सुधि लेने वाला नहीं है.
आखिर किसके जिम्मे है अग्निशमन विभाग ?
जिला प्रशासन में आग्निशमन विभाग का जिम्मा किसका है, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. जिला नजारत अधिकारी का कहना है कि यह मामला उनके विभाग का नहीं है, बल्कि फायर डिविजन देखता है. तो जिला प्रशासन में इसकी जिम्मेदारी किसकी है, इसकी जानकारी स्पष्ट नहीं है. वहीं अग्निशमन विभाग के फायर स्टेशन ऑफिसर (एफएसओ) गोपाल यादव ने कहा कि इन आग्निशमकों के एक्सपायर होने पर वे कार्रवाई नहीं कर सकते. उनके जिम्में में केवल एनओसी देने होता है. जिन सरकारी और निजी बिल्डिग में इसकी जरुरत होती है, उन्हें इसके लिए अग्मिशमन विभाग के पास अप्लाई करना पड़ता है.