Ranchi: रातू अंचल के तत्कालीन सीओ राजेश कुमार मिश्रा के कारनामे धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं. उनके कार्यकाल में जमीन दलालों के सहयोग के बिना म्यूटेशन संभव नहीं होता था. आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासी बनाने का भी खेल उनके कार्यकाल में किया गया. म्यूटेशन के मामले में भी भले ही राजस्व कर्मचारी का मंतव्य म्यूटेशन के पक्ष में रहा हो, इसके बाद भी बिना सीआई की रिपोर्ट के ही म्यूटेशन रिजेक्ट कर दिया जाता था. जिसका उदाहरण नामांतरण मुकदमा संख्या 4269 आर 27/2018—2019, 4269 आर 27/2018—2019 ,4517आर27 ,4345 आर27 जैसे दर्जनों मामले हैं.
यही नहीं, तत्कालीन सीओ राजेश कुमार मिश्रा के कार्यकाल में म्यूटेशन आवेदन रिजेक्ट होने से पहले ही जमीन दलालों के माध्यम से आवेदकों को सूचना मिल जाती थी कि आपका म्यूटेशन अस्वीकृत हो जायेगा. जो आवेदक चढ़ावा देने में सक्षम थे, उनका म्यूटेशन होता था. मिली जानकारी के अनुसार बिना चढ़ावा दिये म्यूटेशन नहीं किया जाता था.
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केस स्टडी
नामांतरण मुकदमा संख्या 4344 आर 27/2018—2019
अस्वीकृत करने वाले का नाम- राजेश कुमार मिश्रा
क्या है राजस्व कर्मचारी का मंतव्य-
नामांतरण मुकदमा संख्या 4344 आर 27/2018—2019 राजस्व कर्मचारी ने अपने मंतव्य में लिखा है, कि आवेदित भूमि मौजा बेलागी के खाता संख्या 12 प्लाट संख्या 354 की भूमि की बिक्री खतियानी रैयत के द्वारा दिये गये पावर के आधार पर 29 जनवरी को की गई है. यह भूमि गैरमजरूआ आम खास से मुक्त है. जिस पर वर्तमान में किसी प्रकार की आपत्ति प्राप्त नहीं है, एवं क्रेता निभा देवी का भूमि पर दखल-कब्जा है. इस नामांतरण को स्वीकृत की जा सकती है. उपरोक्त तथ्य अंचल कार्यालयों में जमीन दलालों की मजबूत पैठ को भी प्रमाणित करता हैं.
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