NewDelhi/Kolkata : सुप्रीम कोर्ट कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करेगा. सोमवार को कोर्ट ने हामी भर दी. बता दें कि इस याचिका में सीबीआई को पश्चिम बंगाल में बिना राज्य सरकार की अनुमति के कथित तौर पर कोयले के अवैध खनन और ढुलाई की जांच की अनुमति देने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गयी है.
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने याचिका पर केंद्र और सीबीआई को नोटिस जारी कर एक मार्च तक जवाब मांगा है.
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अनूप माझी को संरक्षण देने से भी मना कर दिया
सुप्रीम कोर्ट ने सूखे ईंधन की खरीद और बिक्री में शामिल कंपनी के निदेशक अनूप माझी को संरक्षण देने से भी मना कर दिया. जान लें कि अनूप माजी पश्चिम बंगाल के आसनसोल-रानीगंज क्षेत्र में कथित तौर पर कोयले के अवैध कारोबार के मामले में भी आरोपी है.
याचिका में दावा किया गया है कि प्रदेश सरकार द्वारा 2018 में आम सहमति वापस लिये जाने के बाद केंद्रीय एजेंसी के पास मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का न्यायाधिकार नहीं है.
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एकल न्यायाधीश की पीठ का आदेश अपील योग्य नहीं है
सुनवाई के दौरान माझी की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष सीबीआई की याचिका विचार योग्य नहीं है. इसलिए 12 फरवरी को पारित आदेश बिना न्यायाधिकार के है. कहा कि तीन फरवरी का एकल न्यायाधीश की पीठ का आदेश अपील योग्य नहीं है, क्योंकि यह आपराधिक न्यायाधिकार के तहत पारित है.
बता दें कि कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 12 फरवरी को एकल न्यायाधीश की पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जो कथित तौर पर कोयले के अवैध खनन और परिवहन की सीबीआई जांच के दायरे को पश्चिम बंगाल में सिर्फ रेलवे के इलाकों’ तक सीमित करता था. उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने माझी की किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान करने की याचिका भी खारिज कर दी थी.