LagatarDesk: संसद का बजट सत्र शुक्रवार से शुरू हो गया. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में आम बजट पेश करेंगी. बजट क्या है, इसे आसान शब्दों में समझने की कोशिश करते हैं. लोगों के घर में पूरे महीने का खर्चा और आय का ब्यौरा बनाया जाता है. आय आने से पहले ही घर के बड़े तय कर लेते हैं कि पैसे का क्या करना है. जिस तरह से एक आम आदमी अपने घर का बजट बनाता है, ठीक उसी तरह से भारत का भी बजट बनाया जाता है.
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आय और खर्च का होता है विवरण
पूरे साल में सरकार किन चीजों पर कितना खर्च करेगी, आय का स्रोत क्या होगा और सरकार की क्या नयी नीतियां होंगी, इन सभी का ब्यौरा बनाया जाता है. ब्यौरा बनाने के बाद इसे संसद में पेश किया जाता है.
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कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम की अगुवाई में इकोनॉमी सर्वे हुआ पूरा
शुक्रवार को निर्मला सीतारमण ने इकोनॉमी सर्वे को भी पेश किया गया. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम की अगुवाई में यह रिपोर्ट तैयार की गयी है. कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद इस बार का बजट सभी के लिए बहुत ही खास है. लोगों की सरकार से बहुत सारी उम्मीदें है.
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रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरुरत
कोरोना के बाद सरकार को रोजगार में वृद्धि करने की जरुरत है. क्योंकि वर्तमान समय में लाखों करोड़ों लोग बेरोजगार हो गये हैं. बेरोजगारी को दूर करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ोतरी करनी होगी. साथ ही स्वास्थ्य पर भी सरकार को कुछ राहत पैकेज देना चाहिए. क्योंकि महामारी के बाद लोगों के लिए सबसे ज्यादा जरुरी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी हो गयी है. सरकार बजट पेश करती है, तो इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है.
बजट हमारी अर्थव्यवस्था को कैसे करता है प्रभावित
बजट सही मायने में सरकार की आमदनी और खर्च की एक रूपरेखा होती है. इसका उद्देश्य होता है देश में संतुलित विकास करना. साथ ही सारी चीजों की कीमतों को नियंत्रित करके आर्थिक असमानता को कम करना होता है. इसके जरिये सरकार कई सरकारी योजनाओं को लाती है ताकि सभी लोग इसका लाभ उठा सकें.
साथ ही गरीबों को लाभान्वित करने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं लाती है. बजट में सरकार का साल भर का ब्यौरा दिया रहता है. बजट के जरिए केवल देश और लोगों के विकास के लिए नहीं, बल्कि देश के सभी सेक्टरों में विकास के लिए कई तरह की योजनाओं को लाया जाता है.
क्यों पड़ती है बजट की जरूरत
बजट की जरूरत इसलिए पड़ती है, ताकि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर रखा जा सके. क्योंकि अगर आमदनी और खर्च की कोई योजना नहीं होगी, तो संभव है कि खर्च, आमदनी के मुकाबले बहुत ज्यादा भी हो जाये. अगर ऐसा हुआ तो, देश की अर्थव्यवस्था ठप हो सकती है. अगर देश की वित्तीय स्थिति को ठीक रखना है तो बजट बनाना बहुत ही जरूरी होता है.
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बजट का समय क्यों महत्वपूर्ण है
पहले यानी साल 1998 तक वित्त मंत्री द्वारा फरवरी के अंतिम कार्य दिवस यानी 28 फरवरी को 5 बजे पेश किया जाता था. यह प्रथा ब्रिटिश शासन से विरासत में मिली थी. शाम में इसलिए पेश किया जाता था क्योंकि उस समय ब्रिटेन में शेयर बाजार खुलता था. बजट के प्रभावों का आकलन करने के लिए शाम में बजट पेश किया जाता था. इसमें बदलाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के दौर में 1999 में किया गया.
तब से इसका समय बदलकर 11 बजे सुबह कर दिया गया. फरवरी 2016 में, एनडीए के ही दौर में बजट पेश करने की तारीख को 1 फरवरी कर दिया गया और आम बजट के साथ रेलवे बजट को भी मिला दिया गया. पहले रेल बजट आम बजट के एक दिन पहले पेश किया जाता था.
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क्या महत्व है हलवा समारोह का
हलवा समारोह बजट से पूर्व मनाया जाता है. इस समारोह का मतलब होता है कि बजट प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गयी है और बजट दस्तावेजों की छपाई हो गयी है. बजट छपाई प्रक्रिया में वित्त मंत्रालय के करीब 100 कर्मचारी बिना किसी बाहरी संपर्क के 10 दिन तक बजट दस्तावेजों की छपाई करते हैं. उनको इस दौरान घर जाने, घरवालों अथवा किसी बाहरी व्यक्ति से मिलने-जुलने करने की अनुमति नहीं होती है.
हलवा सेरेमनी के पीछे मान्यता रही है कि हर शुभ काम करने से पहले कुछ मीठा खाना चाहिए. साथ ही भारतीय परंपरा में हलवे को काफी शुभ भी माना जाता है. हालांकि, इस बार पहली बार बजट डिजिटल तरीके से पेश किया जा रहा है. बजट को आम जनता ऐप के माध्यम से भी देख सकेगी.
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