Lakshmi Pratap singh
लारिसा वाटर्स याद हैं? ऑस्ट्रेलिया नेशनल असेंबली में एक महिला नेता अपने बच्चे को स्तनपान करा रही थीं. ऐसा करने वाली वो पहली महिला थीं. उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा की, मैं एकदम प्राकृतिक जैविक कार्य कर रही हूं. इसमें इतना चौकने की क्या बात है, अगर आपकी भावनाएं आहात होती हैं तो “आप घूरना बंद कीजिये”. इसके बाद दुनिया भर में स्तनपान को लेके अवेयरनेस प्रोग्राम-कैंप वगैरह आयोजित हुए और महिला एक्टिविस्ट ने इसे एक बड़ा मूवमेंट बना दिया. इसका क्रिटिसाइज करने वालों को बेइज्जत किया गया.
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न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैंडा आरडर्न एक बार अपनी छोटी सी बेटी को लेकर, विश्व के नेताओं के लिए यूनाइटेड नेशंस द्वारा आयोजित सालाना मिलन समारोह में चली आयी थी. जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा की मैं प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ एक मां भी हूं, और मैं दोनों जिम्मेदारियां साथ क्यों नहीं उठा सकती? भारत में भी इस विषय पर चर्चा हुई और संभ्रांत वर्ग ने महिलाओं के इस कार्य को सराहा.
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हाल ही में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी डिम्पल यादव अपने एक निजी व पारिवारिक समारोह में रिश्तेदार महिलाओं के साथ नृत्य कर रही थीं. ध्यान रहे गाना, कपडे, मुद्रा में किसी तरह की कोई अश्लीलता नहीं, समारोह भी सामाजिक नहीं निजी था, बस नाचती महिला का छोटा सा वीडियो क्लिप मिल गया तो अन्य राजनीतिक पार्टी-विचारधारा के लोगों द्वारा अभद्र भाषा और तंजों के साथ वीडियो को वायरल किया गया.
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बड़े दोहरे स्तर की बात है की विदेशों में महिलाएं जब अपने निजी जीवन और सामाजिक जीवन की जिम्मेदारियों को साथ लेकर चलती हैं, तो हमारा समाज उन्हें मजबूत महिला कहता है, और जब भारत की महिलाएं ऐसा कुछ करती हैं, तो हम बस उन्हें “महिला” होने भर में बांध देते हैं. यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो पहले से महिलाओं की स्वतंत्रता के खिलाफ कहते आ रहे की “महिलाएं अकेले स्वतंत्र या आत्मनिर्भर छोड़े जाने के काबिल नहीं हैं” तो इन भाजपा समर्थकों से और उम्मीद ही क्या की जा सकती है?
Disclaimer: ये लेखक के निजी विचार हैं.
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