Ranchi : झारखंड में डायन बताकर महिलाओं पर अत्याचार और हत्या कर देने का सिलसिला लगातार जारी है. झारखंड पुलिस के आंकड़े यह बताते हैं कि पिछले एक साल के दौरान राज्य के अलग अलग जिले में डायन बिसाही के नाम पर 27 लोगों की हत्या कर दी गई है. साल 2021 में जनवरी से लेकर मार्च तक सात लोगों की हत्या हुई है. और साल 2020 में मार्च से लेकर दिसंबर महीने तक 20 लोगों की हत्या डायन के आरोप पर हुई है.
इसे भी पढ़ें – रूपा तिर्की आत्महत्या मामला : पुलिस ने कोर्ट में पेश की चार्जशीट, आत्महत्या के लिए एसआई शिव कनौजिया जिम्मेदार
क्यों होती है डायन के नाम पर हत्या
झारखंड के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोग किसी बीमारी के फैलने की स्थिति में पहले नीम-हकीम या ओझा के पास जाते हैं. जब झोलाछाप डॉक्टरों और ओझा से कुछ नहीं हो पाता तब वह आस पड़ोस की किसी महिला को इसके लिए जिम्मेदार बताते हुए उसे डायन करार दे देते हैं. मौजूदा समय में गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर नहीं हैं और ऐसी स्थिति में डॉक्टर और ओझा ही लोगों का सहारा है. ओझा की ओर से डायन करार दी गई महिला का उत्पीड़न शुरू होता है और कई बार लोग जान से भी मार देते हैं. लोग पुरानी मान्यताओं को मानते हुए किसी बच्चे को बुखार आने, पेट में दर्द होने, खाना न खाने, रात में रोने, नींद न आने, गांव में फसल कम होने, पानी कम गिरने या अधिक गिरने, जानवरों की तबीयत खराब होने पर यह मान लेते हैं कि किसी की नजर लगी है.
इसे भी पढ़ें –रांची: सागर राम हत्याकांड का मुख्य आरोपी 10 घंटे के अंदर गिरफ्तार
संपत्ति हड़पने की साजिश के तहत भी होती है हत्याएं
डायन हत्या के पीछे आर्थिक झगड़े, अंधविश्वास और दूसरी निजी और सामाजिक संघर्ष प्रमुख कारण है. अधिकतर आदिवासी समुदाय में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में जमीन पर ज्यादा अधिकार प्राप्त होते हैं. इस संपत्ति पर अधिकार जमाने के लिए उन्हें डायन साबित करने की कवायद शुरू की जाती है. खासकर उन महिलाओं को निशाने पर रखा जाता है जिनके परिवार में कोई नहीं होता. ग्रामीण इलाकों में संपत्ति हड़पने या आपसी रंजिश के लिए भी इस कुप्रथा की आड़ ली जाती है. खासकर किसी विधवा को डायन करार देकर मारने के बाद उसकी संपत्ति हड़पना आसान है. ऐसे मामलों में पुलिस या जिला प्रशासन की तरफ से भी कुछ खास एक्शन नहीं लिया जाता.
इसे भी पढ़ें –बोकारो : महिला ने जेठ पर लगाया जबरन शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करने का आरोप
गिरफ्तारी के बाद भी नहीं थमते मामले
डायन बिसारी के मामले में गांव के लोग ही हत्या में शामिल होते है. डायन हत्या के मामलों में भी 99% गिरफ्तारी पुलिस करती है लेकिन इसके बावजूद डायन बिसाही के मामले थमते नजर नहीं आते हैं. डायन के नाम पर मारपीट करने वाले या फिर हत्या करने वाले लोग अंधविश्वास में इतने जकड़े होते हैं कि उन्हें सही और गलत की समझ जेल जाने के बाद भी नहीं होती.
इसे भी पढ़ें –रांची : बोलेरो में ट्रक ने मारी टक्कर, 12 वर्षीय बच्चे की मौत